शनिवार, 31 अक्तूबर 2015

जगजीत की विरासत को ज़िंदा रखने की कोशिश -- ज़ुल्फ़िकार ए के साबरी

जयपुर । सिम्पली जयपुर और इंटरनेशनल जैन एंड वैश्य ऑर्गनाइजेशन के संयुक्त प्रयास से  जयपुर में एक शाम जगजीत सिंह की याद में आयोजित की गयी।  जगजीत सिंह की ग़ज़लों का जादू आज भी बरकरार है।  हम जगजीत की ग़ज़लों को उन्ही के  अंदाज में प्रस्तुत किया  ग़ज़ल गायक ज़ुल्फ़िकार ए के खान साबरी ने ग़ज़ल सुनते है की हर चीज़ मील जाती है दुआ से एक रोज़ तुमको भी मांग कर देखेंगे खुदा से , चिट्ठी  ना कोई संदेश जाने वो कोनसा देस , हज़ारो ख्वाहिशे ऐसी की हर हर ख्वाहिश पे दम निकले , कल चौदवी की रात थी , होठो से छूलो  तुम। .... ग़ज़लें गायी  साथ में तबले पर मनोज नागर , बांसुरी पर देवेन्द्र राज भट्ट गिटार पर अमर , साइड रिधम तुलसी , की बोर्ड पर हैदर अली , वायलन पर युनुस खान  ने उनका साथ दिया। ज़ुल्फ़िकार का कहना है जगजीत सिंह जी को मैंने अपना गुरु बनाया और जब तक  वो थे तब मैं बस उन्ही की ग़ज़लें गाता था और आज जब वो नहीं है तो उन्ही की विरासत को ज़िंदा रखना चाहता हूँ।  ग़ज़ल गायिकी बहुत मेहनत का काम है क्योकि जब तक दिल से आवाज नहीं आती तब तक सुनने वालो को मज़ा नहीं आता।  संगीत एक साधना है और इसमें सफल होने के लिए धैर्य की जरूरत है लोगो के दिलो पर राज करने के लिए  सालो का रियाज जरूरी है। जुल्फिकार जल्द ही अपनी १५  ग़ज़लों का एल्बम लांच कर रहे है।  और साथ ही महेश भट्ट के साथ अर्थ के स्वीकल के लिए भी ग़ज़ल तैयार कर रहे है। 

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