मंगलवार, 3 नवंबर 2015

गहलोत कर रहे है छाबड़ा के निधन पर राजनीती - परनामी

जयपुर। जयपुर, 3 नवम्बर। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने पूर्व विधायक श्री गुरूशरण छाबडा के निधन पर दुख प्रकट कर, उनकी आत्मा की शांति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है। साथ ही उन्होनंे कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व विधायक श्री गुरूशरण छाबड़ा के निधन पर राजनीति कर रहे हैं, जबकि स्व. छाबड़ा ने राज्य में शराबबंदी और लोकायुक्त को सशक्त बनाने के लिए गहलोत के कार्यकाल में दो बार अनशन किया था। यदि गहलोत उस वक्त ही उनकी मांगे मान लेते तो आज छाबड़ा जी की जान नहीं जाती। श्री छाबड़ा की मृृत्यु के जिम्मेदार तो स्वयं उस समय की कांग्रेस सरकार हैं। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने तो इस मामले में संवेदना दिखाते हुए छाबड़ा की 90 प्रतिशत शर्ताें की क्रियान्विति कर दी थी। लगातार इस तरह के बयान देकर राजस्थान का अमन-चैन बिगाड़ने का प्रयास करने वाले गहलोत ने तो अपने मुख्यमंत्रित्व काल में छाबड़ा की एक भी मांग नहीं मानी।
परनामी ने जारी एक बयान में कहा है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री  भौरोसिंह शेखावत की पहल पर प्रदेश में 1 अप्रेल, 1980 को प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई, लेकिन जैसे ही कांग्रेस की सरकार आई, मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया ने अपने बजट भाषण 1981-82 में शराबबंदी हटाने के संकेत दे दिए। उसके बाद कांग्रेस की ही शिवचरण माथुर सरकार ने 11 अगस्त, 1981 को शराबबंदी के फैसले को पलटकर राजस्थान में शराब की बिक्री पर लगी पाबंदी हटा दी। आज तो अशोक गहलोत इस मामले को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने उस वक्त क्यों कांग्रेस सरकार के फैसले का विरोध नहीं किया? जबकि वे तो अपने आप को गांधीवादी नेता कहलाना पसंद करते हैं।


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