सोमवार, 2 नवंबर 2015

ग्राम गोनेड़ा में डेंगु से दर्जनों बीमार , एक की मृत्यु


खबर - अनिल कुमार शर्मा 
आधिकारिक सूचना के अभाव में प्रशासन नहीं कर रहा है पुष्टी
फोगिंग के अभाव में गोनेड़ा में फैला डेंगु
कोटपूतली। कस्बे के निकटवर्ती ग्राम गोनेड़ा में डेंगु ने विकराल रूप धारण कर लिया है। रविवार को गोनेड़ा निवासी अमित (15) पुत्र जगमाल हरिजन की डेंगु से जयपुर में ईलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। हालांकि प्रशासन अभी इस बात की पुष्टी नहीं कर रहा है। बाबा सेवा रावत समिति गोनेड़ा के अध्यक्ष राहुल रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि गोनेड़ा में डेंगु की चपेट में पिछले एक माह में दर्जनों लोग आ चुके है। हालांकि स्थानीय चिकित्सा विभाग द्वारा अभी इस बात की पुष्टी नहीं की गई है। फिलहाल करीब दो दर्जन मरीज कोटपूतली के स्थानीय चिकित्सालयों में अपना ईलाज करवा रहे है। वहीं करीब आधा दर्जन मरीजों को जयपुर भी रैफर किया गया है। गांव के प्रकाश पुत्र छोटुराम, सीमा पत्नी धोलाराम, कंचन पुत्री किशोरी लाल व विष्णु पत्नी अमरसिंह आदि मरीजों के डेंगु से पीडि़त होने की बात सामने आई है। जिनका ईलाज भी फिलहाल स्थानीय अस्पतालों में जारी है। गांव में प्रतिदिन दो से तीन नये डेंगु के मरीज सामने आने की बात कही जा रही है। इस सम्बंध में ग्रामीणों ने पूर्व में भी फोगिंग की मांग की थी। रविवार को हुई किशोर की मृत्यु के बाद प्रशासन भी हरकत में आया है। राहुल रावत ने बताया कि सोमवार को गांव के मुख्य मार्गो पर तो फोगिंग करवाई गई है। लेकिन 100 से 150 की जनसंख्या वाली ढ़ाणियों में आदेश ना होने का हवाला देकर फोगिंग की मांग को नजर अन्दाज कर दिया गया। इसको लेकर सेवा रावत समिति के सदस्य एड. देवेन्द्र रावत ने जब बीसीएमओ कार्यालय पर जानकारी दी तो पता चला कि फोगिंग की मशीन को जयपुर भिजवा दिया गया है। सरपंच प्रतिनिधी सुरेश सोनी ने बताया कि इस सम्बंध में अनेक बार डीप्टी सीएमएचओ कार्यालय को अवगत करवाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं होने से यह स्थिति पनपी है। बीसीएमओ डॉ. आशीष सिंह शेखावत ने बताया कि गोनेड़ा में दो बार फोगिंग करवाई गई थी। साथ ही पंचायत प्रशासन को स्वयं के स्तर पर भी डीडीटी पाउडर छिडक़ने के लिए दिया गया था। गांव के हालात देखते हुए दूबारा फोगिंग करवाई जायेगी। वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का बीमार होना अभी भी बदस्तूर जारी है। उल्लेखनीय है कि गोनेड़ा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में सप्ताह में एक दिन ही चिकित्सक उपस्थित रहता है। साथ ही मरीजों की जांच से सम्बंधित कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को कोटपूतली ईलाज के लिए आना पड़ता है। 


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