सोमवार, 2 नवंबर 2015

फसल बीमा योजना लागू करने के विरोघ में किसानो की विशााल सभा आयोजित की

खबर - असलम सिरोहा 
मलसीसर . तहसील मुख्यालय के सामने सोमवार को  किसान विकास संघर्ष समिति की ओर से राष्ट़्रीय फसल बीमा योजना को समाप्तकर राज्य सरकार ने मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू  करने के विरोघ में  किसानो की विशााल सभा आयोजित की गई । सभा को संबोधित करते हुए संघर्ष समिति संयोजक गोकुल चंद सोनी ने कहा  कि नई योजना से किसानो को फसल खराबे की बीमा का लाभ कम नुकसान ज्यादा उठाना पड़ेगा । राज्य सरकार ने 2012 में लागू  फसल बीमा योजना को समाप्तकर नई मौसम आधारित फसल बीमा योजना को लागू की है जिससे बीमा कपंनिया कि सानो का शोषण मनमर्जी से करेगी ।  राष्ट़्रीय कृषि बीमा योजना में किया गया संशोधन से किसानो का बीमा कंपनियो की ओर से किया जाने वाला शोषण कम हो गया था पटवारी गिरदावर से किसान खेतों मे जाकर फसल खराबे का आंकड़ा लेने का दबाब बना सकते थे लेकिन अब सरकार ने मौसम आधारित योजना लागूकर बीमा कंपनियो को किसानो का शोषण करने की खुली छूट प्रदान कर दी है। जिसे क्षैत्र के किसान कभी भी  बर्दाशत नहीं करेगें । एडवाकेट विनोद गिल ने कहा कि  पहले फसल आधारित गणना के अनुसार  पटवारी अपने पटवार सर्कील में चार खेतों मे जाकर 5 बाई 5 मीटर काश्त की गई भूमि पर निकले अनाज की गणना के अनुसार बीमा क्लेम की राशि तय करता था जिससे किसानो को फसल खराबे का उचित मुआवजा मिलता था  लेकिन अब राज्य सरकार ने किसानो के हितो की अनदेखीकर बीमा कंपनियो को खुली लूट करने की छूट प्रदान कर दी है अब किसानो 
  चिरंजीलाल चौमाल ने कहा कि  मौसम आधारित योजना मे फसल मुल्यांकन  का कोई निश्चित आधार नहीं है  बीमा कंपनी मनमर्जी से फसल का मूलयांकन करेगी   बीमा क्लेम प्राप्त करने की  ऐसी विसंगतियो से किसान को भारी मार पड़ती है 
पेर्व सरपंच हफीज खाँ ने कहा कि  मलसीसर तहसील  रेगिस्तानी क्षैत्र होने के कारण अति वृष्टि अनावृष्टि से फसल खराब हो जाती है।इस विपदा में  किसानो को फसल बीमा क्लेम की राशि मिलने से आर्थिक सहारा मिल जाता था  लेकिन राजय सरकार किसानो को नुकसान पहुंचाने व बीमा कंपनियो को लााभ पहुंचाने के लिए मौसम आधारित नई योजना को लागू किया है यह किसानो के हित मे नहीं है।  
गांगीयासर के  पूर्व सरपंच सांवत खाँ ने कहा कि  किसान दो साल से बीमा क्लेम की राशि के लिए आंदोलन कर रहे है इस मामले को लेकर किसान  उच्च न्यायालय मे मुकदमा भी  दायर कर रखा उसका फैसला अभी आना बाकी है है परन्तु उससे पहले ही सरकार ने बीमा कंपनियो को किसानो का शोषण करने की खुली छूट प्रदान कर दी है लेकिन संघर्ष समिति किसानो के साथ हो रहे अन्याय को चुपचाप बर्दाश्त नहीं करेगें ।  सभा मे किसानो ने मांग कि की राष्ट़्रीय स्तर पर नदियां से जोड़े जाने की योजना के अंर्तगत उतराखण्ड की शारदा नदी,हरियाणा की यमुना नदी के साथ जिले की एकमात्र काटली नदी को शामिल किया जाए जिससे जिले का भूजल स्तर को संभाला ला सके ।  सभा  के बाद किसानो ने मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन तहसीलदार मांगेराम के कार्यलश् मे उपस्थित नहीं होने पर ज्ञापन की प्रति तहसील मुख्यालय के सामने दिवार पर चस्पा की गई । । सभा मे  पूर्व पंस सदस्य फतेह माहम्मद भाटी,रामकरण धेतरवाल,गोवर्धनसिंह,राजेन्द्र गर्वा,गुलझारीलाल नुनियां,किशनसिंह करनावत,कन्हैयालाल सैनी,प्रमसिंह चौधरी,ताराचंद डागर,प्रभात कुमार,मउरचंद,चुन्नीलाल,मोहनलाल,नरेन्द्र सिंह,बरकत अली,मोहनलाल सिंहाग,होशियार सिंह,दयानन्दसिंह सहित कई किसान मौजूद थे । 

Share This