गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

मायड़ भाषा की मान्यता राजस्थान का हक

साहित्यकार भंवर लाल महरिया ‘भंवरो’ को सांवर शर्मा स्मृति साहित्य पुरस्कार, साहित्य संसद फतेहपुर की ओर से बासनी के मरूधरा सेवा संस्थान में हुआ सम्मान समारोह
सीकर। साहित्य संसद, फतेहपुर की ओर से बासनी के मरूधरा सेवा संस्थान में गुरुवार को आयोजित समारोह में क्षेत्रा के लोकप्रिय साहित्यकार भंवर लाल महरिया ‘भंवरो’ को सांवर शर्मा स्मृति साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राजस्थानी भाषा और साहित्य के क्षेत्रा में उल्लेखनीय कार्य पर उन्हें यह पुरस्कार दिया गया। शिक्षाविद् प्रो. भगवान सिंह झाझड़िया की अध्यक्षता में हुए समारोह के मुख्य अतिथि साहित्य अकादेमी के युवा पुरस्कार से पुरस्कृत युवा लेखक कुमार अजय ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया।
पुरस्कार स्वरूप उन्हें ग्यारह हजार रुपए नकद, अभिनंदन पत्रा, शाॅल, श्रीफल व प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया। इस मौके पर कुमार अजय ने कहा कि महरिया का सम्मान वास्तव में एक सच्चे साहित्यधर्मी का सम्मान है, जिसने विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए सदैव आम आदमी की पीड़ा को अभिव्यक्त करने के लिए साहित्य रचा। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा विश्व की समृद्धतम भाषाओं में से एक है और अपनी मातृभाषा की मान्यता राजस्थान के लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी को मान्यता करोड़ों लोगों की अस्मिता का सवाल है और मान्यता मिलने से प्रदेश के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से राजस्थानी को अपनाने और उसके लिए काम करने का अनुरोध करते हुए कहा कि हमें दलितों और स्त्रिायों के हक में हमें आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने आज के भागमभाग और आपाधापी वाले समय में साहित्यिक गतिविधियों के आयोजन के लिए मरूधरा सेवा संस्थान के इंजीनियर बीएस ढाका एवं साहित्य संसद, फतेहपुर के शिशुपाल सिंह नारसरा की सराहना की। अध्यक्षता करते हुए प्रो. भगवान सिंह झाझड़िया ने पुरस्कृत साहित्यकार के लेखन के प्रति समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि साहित्य ने सदैव समाज को दिशा देने का काम किया है। समाज में लेखकों एवं बुद्धिजीवियों के प्रति कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। पुरस्कृत साहित्यकार भंवर लाल महरिया ने अपने साहित्यिक जीवन के अनुभवों एवं संघर्षों को साझा करते हुए कहा  कि लेखन से उन्हें आत्म-संतुष्टि मिलती है और वे अपने लेखन में ग्रामीण जनजीवन से जुड़े पात्रों को उभारने की कोशिश करते हैं। साहित्य संसद के अध्यक्ष साहित्यकार शिशुपाल सिंह नारसरा ने आयोजकीय व्यक्तव्य देते हुए बताया कि अपनी संस्था व आयोजनों के माध्यम से उनकी कोशिश है कि अंचल में युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिले और साहित्यकारों को समुचित सम्मान मिले। विशिष्ट अतिथि मांगीलाल शर्मा, रामगोपाल शास्त्राी, बलबीर आंतरोली ने भी विचार व्यक्त किए। इस दौरान पुरस्कृत साहित्यकार ‘भंवरो’ की माता रूकमणी देवी को भी सम्मानित किया गया।  मरूधरा सेवा संस्थान के दौलत सिंह, साहित्यकार गोविंद सिंह गहलोत, कपिल देवराज आर्य, मरूधरा पाॅलिटेक्निक काॅलेज के प्राचार्य मुकेश ढाका, बीएड काॅलेज के प्राचार्य प्रेमसिंह ढाका, भागीरथसिंह ढ़ाका, दौलत सिंह, जनसंपर्ककर्मी हेमंत सिंह, फूलचन्द, वरिष्ठ व्याख्याता तैयब अली, राजेन्द्र, संजीव, नरेन्द्र, जीवणराम, अरविन्द, राजकुमार राज आर्य सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी, छात्राध्यापक एवं साहित्यनुरागी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रकाश स्वामी ने भावपूर्ण अभिनय प्रस्तुति देकर प्रभावित किया। इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का मालार्पण व शाॅल ओढाकर सम्मान किया गया।
उल्लेखनीय है कि राजस्थानी भाषा के प्रचार-प्रसार और मान्यता के लिए समर्पित साहित्यकार भंवर लाल महरिया ‘भंवरो’ की ‘होळी री धमाळां’,  कहानी संग्रह ‘हळसोतियो’, उपन्यास ‘लीरां लीर है जमारो’, ‘बिणजारो’ आदि पुस्तकें प्रकाशित हैं और उन्होंने अपने साहित्य में ग्रामीण जनजीवन की अभिव्यक्ति  की है। 

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