मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

रेलवे की करोडा़ें की संपत्ति हो रही है खुर्द बुर्द

खबर - हर्ष स्वामी 
अवैध कब्जों के साथ हो रहा है मिट्टी का खनन
सिंघाना. कस्बे के चिड़ावा बाईपास पर पड़ी रेलवे के अरबों रूपए की जमीन खुर्द बुर्द हो रही है। रेलवे लाईन उखडऩे के बाद सालों से खाली पड़ी जमीन पर भू-माफिया अवैध कब्जा करके प्लॉटिंग की जा रही है। दुसरी तरफ मिट्टी का अवैध खनन भी हो रहा है खाली पड़ी जमीन से लोग मिट्टी उठा रहे है। भू माफिया लोग पहले तो खाली पड़ी जमीन परकंकरीट डालते है उसके बाद चारदिवारी करके उस पर प्लॉटिंग करके बेचने पर लगे हुए है। जमीन बिकने के बाद खरीददार वहां पर ना तो निर्माण कर सकते है और ना ही जमीन को काम में ले सकते है खरीददार जब निर्माण चालु करते है तो प्रशासन तक उनकी शिकायत पहुंच जाती है। और अधिकारी जमीन को रेलवे की बताकर काम को रूकवाने के लिए मौके पर पहुंच जाते है। ग्रामीणों का कहना है कि जिस जगह पर पहले रेलवे के आवासिय क्वार्टर होते थे अब वहां पर उनके अवशेष भी नही बचे है। रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर जगह-जगह पत्थर व रोड़े डालकर कब्जे हो रहे है। 
रेल मंत्री को लिखी चि_ी
रेलवे की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जों के चलते ग्रामीणों ने रेल मंत्री को चि_ी लिखकर मामले से अवगत करवाया है। ग्रामीणों को कहना है कि रेलवे की अरबों रूपए की संपत्ति पर हो रहे अवैध कब्जों को रोककर रेलवे विभाग को इस रेल लाईन को डाबला से लोहारू तक जोड़ देना चाहिए जिससे लोगों को रोजगार मिले और सिंघाना से डाबला तक खाली पड़ी रेलवे की जमीन से अवैध कब्जे भी हट जाने से अरबों रूपए की संपत्ति बच जाएं।
रेलवे की संपत्ति बताकर अधिकारी झाड़ रहे है पल्ला
जब इस बाबत अधिकारियों से बात की गई तो उन्होनें जमीन को केन्द्र सरकार की बताकर कहा कि यह मामला केन्द्र सरकार का है इस पर कार्यवाही या तो रेलवे विभाग करे या हमें कार्यवाही करने की अनुमति दे जिससे हम कार्यवाही कर सकें।  
जांच होने पर कई होगें बेनकाब
अगर रेलवे विभाग अपनी खाली पड़ी जमीन की जांच करवाए तो कई चेहरे बेनकाब होगें क्योंकि खाली पड़ी जमीन के कई ऐसे वारिस सामने आ रहे है जिनका जमीन से कोई लेना देना नही है। जिसकी भी चलती वो ही अपना दावा ठोक रहे है। 
इनका कहना है:-
सुचना पाकर मौके पर पहुंचे हल्का पटवारी ने बताया कि यह रेलवे की जमीन है। जब भी हमें मिट्टी खनन की सुचना मिलती है मौके पर पहुंचकर काम को रूकवाते भी है लेकिन रेलवे को इस पर ध्यान देकर कार्यवाही करनी चाहिए।
                                                                                                गणेश नारायण
                                                                                               पटवारी माकडा़े 

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