खबर - जितेश सोनी
चूरू । निकटवर्ती ग्राम की राजकीय माध्यमिक विद्यालय डाबला के सभागार में शैक्षणिक एवं सुस्वास्थ्य विषय पर सेमीनार का आयोजन किया जिसमें मुख्य वक्ता किशोर न्याय बोर्ड, चूरू के सदस्य एडवोकेट रामेश्वर प्रजापति रामसरा ने विद्यालय की समस्त बालिकाओं को जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें व शिक्षा के प्रति जागरूकता के गूर सिखायें। उन्होने कहा हमें मां की कोख सहराना है, हमें आदर्श घर के आदर्श बच्चें के रूप मंे आगे बढना है, उन्होने बच्चों से कहा कि घर में हमसे छोटे बड़े आदर्श ग्रहण करें ऐसा जीवन बनाना है, जीवन एक दरिया है। जल जलप्रतापों में आंधी तुफान आते रहेंगें, हमें धाराओ के प्रतिकुल तैरतें रहना है। तैरना बंद नही करना है। प्यारे बच्चों धाराओं के बहाव के साथ तो मरी हुई मछलिया बहती है। जीवन सारा निर्णय पर है, जिन्होंने एक लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढने का निर्णय समय पर लिया है वो हि कामयाबी की राह से उंचाईयों को छुआ है। इनके साथ ही बच्चों कों प्ररेक प्रसंग सुनायें एवं छात्राओं को स्वैच्छिक सफलता की ओर बढने के संकल्प दिलायें । प्रजापति ने कहा कि जीवन में संकल्प का कोई विकल्प नही है, केवल हौशले को बुलन्द रखना जरूरी होता है, हौशलें में कमी आते ही संकल्प डगमगा जाता है, संकल्प पूरा करने में शुरूआत में बेहद तकलीप जरूर होती है लेकिन अंतों गतवा जीवन प्रयन्त सुखी रहा जा सकता है। ‘‘अच्छा स्वास्थ्य स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण करता है’’। पहला सुख निरोगी काया कहा जाता है, अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक छोटी सी जांच हिमोग्लोबिन की हमे करवानी चाहिए यदि अच एण्ड बी कि संख्या महिला में 12 से 14 व पूरूष में 14 से 17 जो होनी चाहिए उससे कम होती है तो आयरन की पूर्ति के लिए अंकूरित अनाज में बाजरा, लोहे के कडा़ये में दूध, पालक व दाल, चकून्दर का सलाद, नियमित रूप से काम लेना चाहिए, उन्होने कहा कि पालक व चकून्दर के लगाने का अब समय है। हमारे हर घर में इनकी एक-एक क्यारी होनी चाहिए। ये दोनो ही स्बजी हर तरह के पानी खारा-मीठे में होती है। उन्होने कहा कि सफलता हर व्यक्ति के अन्दर छिपी हुई होती है, हम थोड़े से सफल व्यक्ति के बारे में ही चर्चा शूरू कर देते है, अपने में छिपी हुई सफलता की ओर ध्यान नही देते है। प्रातः जल्दी उठना क्या सफलता नही है। बुजुर्गो का आर्शिवाद क्या सफलता नही है, कड़ी मेहनत क्या सफलता नही है, लगन, जूनून, हौशला, दृढ निश्चियता, से आगे बढना क्या सफलता नही है, हमें अपनी सफलता के बारे में भी सोचना जरूरी है। विद्यार्थी को समय प्रबंधन एवं अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समय सारणी बनाकर आगे बढना चाहिए। उम्र हमेशा घटती जा रही है, टाॅप का स्थान हमेशा खाली रहता है, उसके लिए हमें सदउदेश्य के लिए दौड़ना है, हमे कछुए की चाल से प्रशंचित होकर ऊचाईयो को छूना है। हमे प्रातः जल्दी उठकर लिखकर याद करना है, लिखकर याद करने से निंद नही आती है, याद अधिक होता है, बुलते नही है, अशुद्वि दूर होती है, हस्तलेखन में सुधार होता है, लिखने की गति बढती है, शब्दकोष को बढाया जा सकता है, लगातार सिंटिगं की आदत पड़ती है और विद्या अध्ययन के लिए लगातार नियमित रूप से सात घण्टे शाला के अलावा पढना बहुत जरूरी है। हिन्दी के बीस शब्द रोजाना लिखकर याद करना चाहिए। हिन्दी के कठिन शब्दार्थ हिन्दी से हिन्दी डिक्सनरी में आप पढोगंे तो आपको एक शब्द के पांच पर्यायवाची पढने को मिलेगें इस तरह एक वर्ष के 365 दिन गुणा 20 व गुणा 05 पर्यायवाची अर्थात 36500 हिन्दी शब्दकोषों को एक साल में बढाया जा सकता है। अगर विद्यार्थी में कुछ करने की क्षमता ठान ले तो यह तैयारी लीक से हठकर की जा सकती है। सफलता का कोई शाॅट कट नही है, कड़ी मेेहनत से सफलता अर्जित की जा सकती है। उक्त कार्यक्रम में कार्यवाहक प्रधानाचार्य श्री मदन सिंह राठौड़, ने कहा कि आगे बढने वाली की दिनचर्या प्रातः जल्दी उठने के साथ ही अनुशासन व कठिन मेहनत के रूप में हमें प्रतिदिन का हिस्सा बनाना है। दूरदृष्टि से बडा़ सोच रखकर हमारे लक्ष्य की ओर अग्रसर होना है। कार्यक्रम प्रभारी सोमेश शर्मा, ने कहा कि बच्चा कच्ची मिटटी की तरह होता है जिज्ञासु होता है, उसके भविष्य निर्माण में हमें जागरूक जन को मार्ग दर्शित करना चाहिए। प्रार्थना सभा प्रभारी भंवरलाल कस्वां ने कहा कि जीवन में सकारात्मक सोच व साधा जीवन उच्च विचार विद्यार्थी को रखने चाहिए। कार्यक्रम में लिखमाराम खुदाल, मंगलचंद प्रजापत, लालजवन्तीम मृदुगल, शशिकान्त कस्वां, बाबुराम, आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दिलिप सरावग ने किया।
चूरू । निकटवर्ती ग्राम की राजकीय माध्यमिक विद्यालय डाबला के सभागार में शैक्षणिक एवं सुस्वास्थ्य विषय पर सेमीनार का आयोजन किया जिसमें मुख्य वक्ता किशोर न्याय बोर्ड, चूरू के सदस्य एडवोकेट रामेश्वर प्रजापति रामसरा ने विद्यालय की समस्त बालिकाओं को जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें व शिक्षा के प्रति जागरूकता के गूर सिखायें। उन्होने कहा हमें मां की कोख सहराना है, हमें आदर्श घर के आदर्श बच्चें के रूप मंे आगे बढना है, उन्होने बच्चों से कहा कि घर में हमसे छोटे बड़े आदर्श ग्रहण करें ऐसा जीवन बनाना है, जीवन एक दरिया है। जल जलप्रतापों में आंधी तुफान आते रहेंगें, हमें धाराओ के प्रतिकुल तैरतें रहना है। तैरना बंद नही करना है। प्यारे बच्चों धाराओं के बहाव के साथ तो मरी हुई मछलिया बहती है। जीवन सारा निर्णय पर है, जिन्होंने एक लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढने का निर्णय समय पर लिया है वो हि कामयाबी की राह से उंचाईयों को छुआ है। इनके साथ ही बच्चों कों प्ररेक प्रसंग सुनायें एवं छात्राओं को स्वैच्छिक सफलता की ओर बढने के संकल्प दिलायें । प्रजापति ने कहा कि जीवन में संकल्प का कोई विकल्प नही है, केवल हौशले को बुलन्द रखना जरूरी होता है, हौशलें में कमी आते ही संकल्प डगमगा जाता है, संकल्प पूरा करने में शुरूआत में बेहद तकलीप जरूर होती है लेकिन अंतों गतवा जीवन प्रयन्त सुखी रहा जा सकता है। ‘‘अच्छा स्वास्थ्य स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण करता है’’। पहला सुख निरोगी काया कहा जाता है, अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक छोटी सी जांच हिमोग्लोबिन की हमे करवानी चाहिए यदि अच एण्ड बी कि संख्या महिला में 12 से 14 व पूरूष में 14 से 17 जो होनी चाहिए उससे कम होती है तो आयरन की पूर्ति के लिए अंकूरित अनाज में बाजरा, लोहे के कडा़ये में दूध, पालक व दाल, चकून्दर का सलाद, नियमित रूप से काम लेना चाहिए, उन्होने कहा कि पालक व चकून्दर के लगाने का अब समय है। हमारे हर घर में इनकी एक-एक क्यारी होनी चाहिए। ये दोनो ही स्बजी हर तरह के पानी खारा-मीठे में होती है। उन्होने कहा कि सफलता हर व्यक्ति के अन्दर छिपी हुई होती है, हम थोड़े से सफल व्यक्ति के बारे में ही चर्चा शूरू कर देते है, अपने में छिपी हुई सफलता की ओर ध्यान नही देते है। प्रातः जल्दी उठना क्या सफलता नही है। बुजुर्गो का आर्शिवाद क्या सफलता नही है, कड़ी मेहनत क्या सफलता नही है, लगन, जूनून, हौशला, दृढ निश्चियता, से आगे बढना क्या सफलता नही है, हमें अपनी सफलता के बारे में भी सोचना जरूरी है। विद्यार्थी को समय प्रबंधन एवं अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समय सारणी बनाकर आगे बढना चाहिए। उम्र हमेशा घटती जा रही है, टाॅप का स्थान हमेशा खाली रहता है, उसके लिए हमें सदउदेश्य के लिए दौड़ना है, हमे कछुए की चाल से प्रशंचित होकर ऊचाईयो को छूना है। हमे प्रातः जल्दी उठकर लिखकर याद करना है, लिखकर याद करने से निंद नही आती है, याद अधिक होता है, बुलते नही है, अशुद्वि दूर होती है, हस्तलेखन में सुधार होता है, लिखने की गति बढती है, शब्दकोष को बढाया जा सकता है, लगातार सिंटिगं की आदत पड़ती है और विद्या अध्ययन के लिए लगातार नियमित रूप से सात घण्टे शाला के अलावा पढना बहुत जरूरी है। हिन्दी के बीस शब्द रोजाना लिखकर याद करना चाहिए। हिन्दी के कठिन शब्दार्थ हिन्दी से हिन्दी डिक्सनरी में आप पढोगंे तो आपको एक शब्द के पांच पर्यायवाची पढने को मिलेगें इस तरह एक वर्ष के 365 दिन गुणा 20 व गुणा 05 पर्यायवाची अर्थात 36500 हिन्दी शब्दकोषों को एक साल में बढाया जा सकता है। अगर विद्यार्थी में कुछ करने की क्षमता ठान ले तो यह तैयारी लीक से हठकर की जा सकती है। सफलता का कोई शाॅट कट नही है, कड़ी मेेहनत से सफलता अर्जित की जा सकती है। उक्त कार्यक्रम में कार्यवाहक प्रधानाचार्य श्री मदन सिंह राठौड़, ने कहा कि आगे बढने वाली की दिनचर्या प्रातः जल्दी उठने के साथ ही अनुशासन व कठिन मेहनत के रूप में हमें प्रतिदिन का हिस्सा बनाना है। दूरदृष्टि से बडा़ सोच रखकर हमारे लक्ष्य की ओर अग्रसर होना है। कार्यक्रम प्रभारी सोमेश शर्मा, ने कहा कि बच्चा कच्ची मिटटी की तरह होता है जिज्ञासु होता है, उसके भविष्य निर्माण में हमें जागरूक जन को मार्ग दर्शित करना चाहिए। प्रार्थना सभा प्रभारी भंवरलाल कस्वां ने कहा कि जीवन में सकारात्मक सोच व साधा जीवन उच्च विचार विद्यार्थी को रखने चाहिए। कार्यक्रम में लिखमाराम खुदाल, मंगलचंद प्रजापत, लालजवन्तीम मृदुगल, शशिकान्त कस्वां, बाबुराम, आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दिलिप सरावग ने किया।
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