मंगलवार, 22 नवंबर 2016

सस्ती जमीन पर महंगी योजना !

खबर - प्रशांत गौड़
-जन आवास योजना में पेच 
-शहरों में एक समान कीमत से उठे सवाल 
-विकासकर्ताओं के साथ शहरी विभाग का नहीं बैठ रहा तालमेल
जयपुर । मुख्यमंत्री जन आवास योजना में विकासकर्ताओं को सरकारी राहत का इंतजार है तो कुछ विकासकर्ताओं ने  सस्ती जमीन पर महंगी योजना लाकर अल्प आय वर्ग के लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। हर शहर में जमीन की कीमत में अंतर के बावजूद शहरों में आ रही योजनाओं में फ्लैट्स स्कीम में प्रति इकाई की लागत सामान है। जयपुर से लेकर दूसरे शहरों में एक सामान दर आने पर अब कई सवाल भी खड़े होने लगे हैं। 
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत अल्प व निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए शहर में बनने वाले फ्लैट्स की कीमत पर सवाल उठ रहे हैं। जयपुर से लेकर जोधपुर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर तक अधिकांश शहरों में योजना के तहत बन रहे फ्लैट्स की कीमत में खासा अंतर नहीं है। जमीन की वास्तविक  लागत में अंतर होने के बावजूद आवासों की कीमत एक सामान होने से योजना में अफसरों की नीयत पर सवाल उठ रहे है जबकि एक ही शहर में प्राइम लोकेशन के अनुसार जमीन की कीमत में अंतर आ जाता है। ऐसे में अफसरों की जुगलबंदी से कई सरकारी योजनाओं में कीमत एक समान आने से आवेदकों की परेशानियां बढ़ गई है।
सूत्रों की मानें तो जयपुर में जो कीमत आ रही है तो वही कीमत सीमावर्ती जिले में मिलने से पूरी योजना में अफसरों की कार्यशैली को लेकर सवाल उठे हैं। जयपुर में एक बीएचके व 2 बीएचके के फ्लैट्स की कीमत श्रीगंगानगर में बनाई गई आवासीय इकाई के सामान हैं जबकि जयपुर में जमीनों की कीमत ज्यादा और श्रीगंगानगर में भूमि की कीमत काफी कम है। जानकार लोगों के अनुसार जयपुर और श्रीगंगानगर में कृषि भूमि की कीमत में करीब 30-40 प्रतिशत का अंतर
डीएलसी दर में भी अंतर: शहर में आने वाली योजनाओं के तहत डीएलसी दर में भी अंतर होता है। ऐसे में किसी एक ही शहर में आवासों की कीमत में काफी अंतर देखने को मिलता है। कुछ विकासकर्ता योजना के नाम पर महंगे फ्लैट्स बेचकर मंदी से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं। कॉलोनाइजर सस्ती जमीन खरीदकर कम लागत से तैयार फ्लैट्स अच्छे मुनाफे के साथ बेचने की जुगत से प्रोपर्टी बाजार में बूम लाने में जुटे हैं लेकिन उनके इन प्रयासों की सफलता पर सवालिया निशान लगा हुआ है।
बैंकों की किस्त निकालने में अडंग़ा: शहरों में बन रहे जन आवास योजना के तहत साढ़े 300 स्क्वायर फीट एरिया के 1 बीएचके के फ्लैट के लिए निर्धारित शर्त के अनुसार  90 प्रतिशत राशि बैंकों से कर्ज के रूप में दिलवाने की बात विकासकर्ता कर रहे हैं, जिसकी मासिक किस्त चार से पांच हजार रुपए रहेगी। वहीं साढ़े 500 स्क्वायर फीट एरिया के 2 बीएचके के फ्लैट के लिए आवेदक को 90 से 95 हजार रुपए एडवांस देने होंगे। शेष 90 प्रतिशत राशि बैंक से होने पर मासिक किस्त 8 से 10 हजार रुपए तक होगी। इतनी मासिक किस्त निकाला जाना आसान नहीं होगा। 
विभागों ने नहीं किया गौर
योजना के तहत जयपुर से लेकर दूसरे शहरों तक फ्लैट्स की स्कीम को स्वीकृति देने वाले विभाग ने भी इसकी कीमतों पर गौर नहीं किया है। गंगानगर में भी इसी तरह की धांधली सामने आई है। बड़े से लेकर छोटे स्तर पर अधिकारी योजनाओं को मंजूरी तो दे रहे हैं, लेकिन किसी के भी स्तर पर छोटे-बड़े शहरों में डीएलसी दरों, भूमि की बाजार कीमत में अंतर और फ्लैट्स की निर्धारित कीमतों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। 
पार्किंग, पानी लिफ्ट के आधार पर अंतर: जिन विकासकर्ताओं ने यहां पर योजना के तहत दाम में अंतर आने की बात पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इन जगहों पर बिजली, पानी, पार्किंग, लिफ्ट आदि की सुविधाएं उपलब्ध करवाएंगे। इस कारण इन सुविधाओं के आधार पर फ्लैट को महंगा नहीं किया जा सकता है। अमूमन सरकारी आवासीय योजना के तहत यह सुविधा नहीं मिलती है।

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