खबर - अरुण मूंड
मूंग अनाज की खरीददारी का काला खेल दो सप्ताह से है जारी
किसानों के नाम पर व्यापारी समर्थन केंद्र पर बेच रहे है मूंग
दलालों व क्रयविक्रय समिति के अधिकारी से साठगांठ आरोप
दूसरे राज्यो से मूंग मंगा कर सरकार को लगाया करोडो का चुना
4 हजार के करीब खरीदा मूंग को 5225/- में बेच रहे है व्यापारी
क्षेत्र में मूंग की हुई पैदावार कम फिर भी हजारों क्विंटल मूंग जमा
रात के अँधेरे में ट्रकों में लोड कर खपा रहे है जमा मूंग का अनाज
किसानों संगठनों ने की मामले जाँच की मांग, अधिकारी रहे खामोश
झुंझुनू। पिछले दो सप्ताह से स्थानीय व्यापारी किसानों की आड़ में अपने कालेधन का दुरूपयोग कर सरकार को करोड़ो का चुना लगाने में जुटे हुऐ है। खास बात यह है की इस मामले में व्यापारियों ने दलालों व क्रयविक्रय समिति अधिकारी सहित प्रसाशनिक अधिकारियो से साठगांठ कर किसानों के नाम पर अनाज के अवैध कारोबार के जरिये काले धन को ठिकाने लगाने में आगे नजर आते है। इस बार पुरे झुंझुनूं जिले में मूंग के अनाज की पैदावार काफी कम हुई थी उसके बाद भी हजारों टन मूंग सहकारी समिति केन्द्र पर बेचा जा रहा है। और किसानों के नाम से फर्जी कागजातो के जरिये बेचे गयें अनाज की करीब 12 करोड़ 75 लाख से अधिक की रकम सरकार से वसूल चुके है। दुसरे राज्य व जिलों के किसानों से कम कीमत में अनाज खरीदने वाले व्यापारियों की काली पूंजी को सफेद करने के मामले में क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अधिकारी सहित प्रशासनिक अधिकारी भी इस गोरख खेल में साफ नजर आते है। कुछ किसानों की शिकायत के बाद व्यापारियों का अजब कारनामा अब सामने आया तो अधिकारियों ने मामले की जांच का हवाला देकर पल्ला छाड़ लिया जबकि सरकार के नुमाईनदे ही सरकार को लगा रहे है करोडों का चुना जिसकी जांच होनी आवश्यक है। वहीं फसल खराबे के बाद भी बचा हुआ मूंग को मंडी लेकर पहुंचते है तो क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अधिकारी मूंग खरिदने को जल्दी से तैयार ही नही होते है। ऐसे में किसानों को फसल का सरकार द्वारा उचित लाभ नही मिल पाता है जबकि व्यापारी सरेआम सरकार के करोड़ो रूपयों को किसानों के नाम पर हड़प रहे है। अनुमान के मुताबीक अबतक क्षेत्र के व्यापारी सरकार को 8 करोड़ का चुना लगा चुके है।
सूरजगढ़ में स्थापीत झुंझुनूं जिले की सबसे बड़ी अनाज मंडी में स्थानीय व्यापारियों ने केन्द्र सरकार की 1000-500 सौ के नोटबंदी का पुरा फायदा उठाते हुऐ अपने कालेधन को सफेद करने में जुटे हुऐ है। सूरजगढ - बुहाना फाटक के पास एक निजी गोदाम को किराये पर लेकर व्यापारियों ने अवैध रूप से गोदाम तैयार कर मूंग अनाज का बड़ी मात्रा में खरिददारी कर जमाकर भण्डारण करना शुरू कर दिया। जबकि क्षेत्र में मूंग की फसल में कीड़े लगने के कारण मूंग की पैदावार काफी कम हुई। स्थानीय किसानों के मुताबीक मूंग की फसल में कीड़े लगने के कारण खेतों में खड़ी फसल को काफी नुकसान पहुंचा जिसके कारण मूंग की पैदावार उम्मीद से काफी कम हुई और किसान को नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में सवाल उठता है कि जब अनाज की पैदावार ही कम हुई तो हजारों क्वींटल मूंग सरकार के पास कैसे पहुंचा और उसकी रकम भी कैसे चुका दी गई। क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अधिकारियों के मुताबीक अब तक सूरजगढ़ से 46 हजार 555 कट्टे मूंग आये जबकि झुंझुनूं से 72 सौ 4 कट्टे मूंग के जमा हुऐ और करीब करीब इन सभी मूंग के कट्टो पर किसी प्रकार की मोहर भी नही लगी होती। जबकि व्यापारियों के निजी गोदाम में भारतीय खाद्य निगम के बोरे में मूंग का अनाज भरा देखा गया। गौर करने वाली बात यह भी है कि इस साल राज्य सरकार ने मूंग का सर्मथन मूल्य 52 सौ 25 रूपये रखा है जबकि यही मूंग बाजार में 4 हजार के आसपास बिक रहा है। हकीकत यही है कि बाजार भाव से अधिक मूल्य जब सरकार दे ही रही है तो व्यापारियों को सीधे सीधे प्रति क्वींटल पर एक हजार से 15 सौ रूपये का फायदा सीधा मिल रहा है जबकि किसानो की कम फसल होने के कारण किसान मंडी तक पहुंचे ही नही। अनुमान के मुताबीक अब तक सिफ सूरजगढ में ही 8 करोड़ से अधिक का अनाज के नाम पर घोटाला हो चुका है जबकि जिले के अन्य क्षेत्रों में भी इस प्रकार के घोटाले खुलेआम चल रहे है।
सूरजगढ़ स्थित क्रय-विक्रय सहकारी समिति केन्द्र पर मूंग की पैदावार कम पहुंचने को लेकर हमने बार बार खबरे प्रकाशित की गई थी। तब भी समिति के अधिकारियों ने बताया था की किसान अभी मूंग की फसल काटने में किसान जुटे है जिसके कारण मूंग की पैदावार आने में समय लगेगा। लेकिन इसी बीच केन्द्र सरकार की नोटबंदी की घोषणा के बाद अचानक ही क्रय-विक्रय सहकारी समिति केन्द्र पर बड़ी संख्या में मूंग की पैदावार पहुंचने लगी। जो कि वास्तव में किसानों के अनाज नही बल्कि दुसरे राज्य व जिलों से व्यापारियों द्वारा खरीदे गये अनाज ही था। किसान संगठनों को जब इसकी भनक लगी तब मामले की हकिकत सामने आई और मीडिया के सामने जानकारी दी। किसानों के द्वारा बताये गये गोदामो तक जब हम पहुंचे तो बड़ी मात्रा में गोदाम में रखा मूंग नजर आया। इस संबध में जब व्यापारियों से जानकारी चाही तो व्यापारी मौके से नौ-दो ग्यारह हो गये। जिसके बाद हमने सहकारी समिति के अधिकारियों व उपखण्ड अधिकारी सहित संबधित विभाग को सूचना दी लेकिन कार्यवाई तो दूर दुबारा फोन तक नही उठाया गया। दुसरी और मौके पर पहुंची मीडिया को देख व्यापारियों ने गोदाम को ताला लगा कर फरार होते देर नही लगी। मामले की हकिकत जानने के लिये हमने व्यापारियों से भी सम्पर्क किया लेकिन कोई भी कुछ बोलने को तैयार नही हुआ। आखिरकार व्यापारियों ने रात के अंधेरे में गोदाम के बाहर ताला लगाकर रातों रात ट्रको में मूंग लदवाकर झुंझुनूं रवाना करना शुरू कर दिया। किसानों का आरोप है कि स्थानीय व्यापारी दुसरे राज्यों और जिले के कम किमत पर मूंग की खरीद-फरोख्त कर सरकार को उच्चे दामो पर मूंग बेच रहे है। जबकि कभी कभार भूला भटका किसान अपनी फसल लेकर मंडी पहुचता है तो क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अधिकारी बहाना बनाकर किसान की फसल नही खरिदते है। आखिरकार निराश किसान को मजबूरन मंडी में ही अनाज को कम किमत पर बेचने को मजबूर हो जाते है।
सूत्रों के मुताबीक मंडी के व्यापारियों ने अपनी काली जमा पंूजि को ठिकाने लगाने के लिये क्षेत्र के विश्वासपात्र किसानों का सहयोग लिया और साथ ही इस बड़े घोटाले में पटवारी और ग्राम सेवको की मदद से किसानों के फर्जी कागजात तैयार करवाये गये ताकि मूंग खरीद में लगी काली जमापूंजी सफेद होकर वापस व्यापारी के पास पहुंच सके। कई किसानों ने बीना कैमरे के ही मामले की पुरी कथा बताई जबकि कुछ किसान इस घोटाले पर खुलकर बोलते नजर आये। किसान संगठन ने आरोप लगाया कि इस बड़ घोटाले में विभागीय अधिकारियों और व्यापारियों की मिलीभगत के चलते सरकार को करोड़ो का चुना लगा चुके है इसकी जांच होनी चाहिये और दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिये। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि किसानों के नाम पर हो रही लूट की जांच नही हुई तो मजबूरन आन्दोलन करना पड़ेगा। दुसरी और इस संबध में क्रय-विक्रय सहकारी समिति के जनरल मैनेजर वीजय सिंह से घोटाले पर पक्ष जानना चाहा तो आरोपों का खण्डन करते नजर आये जबकि झुंझुनूं मुख्यालय के तकनिकी सहायक मुकेश कुमार ने बताया कि झुंझुनूं मुख्यालय मंडी के मुताबीक सूरजगढ मंडी से भारी मात्रा में मूंग जमा हुये है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस क्षेत्र में फसलों को कीड़ा लगने के कारण पैदावार नही के बराबर हुई उसी ईलाके से भारी मात्रा में मूंग कैसे खरिदा गया। सवाल बड़ा है और ऐसे में जरूरत है कि सरकार इस पुरे मामले की जांच करवाये ताकि धन कुबेरों के इस घोटाले का सत्य सामने आ सके।
मूंग अनाज की खरीददारी का काला खेल दो सप्ताह से है जारी
किसानों के नाम पर व्यापारी समर्थन केंद्र पर बेच रहे है मूंग
दलालों व क्रयविक्रय समिति के अधिकारी से साठगांठ आरोप
दूसरे राज्यो से मूंग मंगा कर सरकार को लगाया करोडो का चुना
4 हजार के करीब खरीदा मूंग को 5225/- में बेच रहे है व्यापारी
क्षेत्र में मूंग की हुई पैदावार कम फिर भी हजारों क्विंटल मूंग जमा
रात के अँधेरे में ट्रकों में लोड कर खपा रहे है जमा मूंग का अनाज
किसानों संगठनों ने की मामले जाँच की मांग, अधिकारी रहे खामोश
झुंझुनू। पिछले दो सप्ताह से स्थानीय व्यापारी किसानों की आड़ में अपने कालेधन का दुरूपयोग कर सरकार को करोड़ो का चुना लगाने में जुटे हुऐ है। खास बात यह है की इस मामले में व्यापारियों ने दलालों व क्रयविक्रय समिति अधिकारी सहित प्रसाशनिक अधिकारियो से साठगांठ कर किसानों के नाम पर अनाज के अवैध कारोबार के जरिये काले धन को ठिकाने लगाने में आगे नजर आते है। इस बार पुरे झुंझुनूं जिले में मूंग के अनाज की पैदावार काफी कम हुई थी उसके बाद भी हजारों टन मूंग सहकारी समिति केन्द्र पर बेचा जा रहा है। और किसानों के नाम से फर्जी कागजातो के जरिये बेचे गयें अनाज की करीब 12 करोड़ 75 लाख से अधिक की रकम सरकार से वसूल चुके है। दुसरे राज्य व जिलों के किसानों से कम कीमत में अनाज खरीदने वाले व्यापारियों की काली पूंजी को सफेद करने के मामले में क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अधिकारी सहित प्रशासनिक अधिकारी भी इस गोरख खेल में साफ नजर आते है। कुछ किसानों की शिकायत के बाद व्यापारियों का अजब कारनामा अब सामने आया तो अधिकारियों ने मामले की जांच का हवाला देकर पल्ला छाड़ लिया जबकि सरकार के नुमाईनदे ही सरकार को लगा रहे है करोडों का चुना जिसकी जांच होनी आवश्यक है। वहीं फसल खराबे के बाद भी बचा हुआ मूंग को मंडी लेकर पहुंचते है तो क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अधिकारी मूंग खरिदने को जल्दी से तैयार ही नही होते है। ऐसे में किसानों को फसल का सरकार द्वारा उचित लाभ नही मिल पाता है जबकि व्यापारी सरेआम सरकार के करोड़ो रूपयों को किसानों के नाम पर हड़प रहे है। अनुमान के मुताबीक अबतक क्षेत्र के व्यापारी सरकार को 8 करोड़ का चुना लगा चुके है।
सूरजगढ़ में स्थापीत झुंझुनूं जिले की सबसे बड़ी अनाज मंडी में स्थानीय व्यापारियों ने केन्द्र सरकार की 1000-500 सौ के नोटबंदी का पुरा फायदा उठाते हुऐ अपने कालेधन को सफेद करने में जुटे हुऐ है। सूरजगढ - बुहाना फाटक के पास एक निजी गोदाम को किराये पर लेकर व्यापारियों ने अवैध रूप से गोदाम तैयार कर मूंग अनाज का बड़ी मात्रा में खरिददारी कर जमाकर भण्डारण करना शुरू कर दिया। जबकि क्षेत्र में मूंग की फसल में कीड़े लगने के कारण मूंग की पैदावार काफी कम हुई। स्थानीय किसानों के मुताबीक मूंग की फसल में कीड़े लगने के कारण खेतों में खड़ी फसल को काफी नुकसान पहुंचा जिसके कारण मूंग की पैदावार उम्मीद से काफी कम हुई और किसान को नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में सवाल उठता है कि जब अनाज की पैदावार ही कम हुई तो हजारों क्वींटल मूंग सरकार के पास कैसे पहुंचा और उसकी रकम भी कैसे चुका दी गई। क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अधिकारियों के मुताबीक अब तक सूरजगढ़ से 46 हजार 555 कट्टे मूंग आये जबकि झुंझुनूं से 72 सौ 4 कट्टे मूंग के जमा हुऐ और करीब करीब इन सभी मूंग के कट्टो पर किसी प्रकार की मोहर भी नही लगी होती। जबकि व्यापारियों के निजी गोदाम में भारतीय खाद्य निगम के बोरे में मूंग का अनाज भरा देखा गया। गौर करने वाली बात यह भी है कि इस साल राज्य सरकार ने मूंग का सर्मथन मूल्य 52 सौ 25 रूपये रखा है जबकि यही मूंग बाजार में 4 हजार के आसपास बिक रहा है। हकीकत यही है कि बाजार भाव से अधिक मूल्य जब सरकार दे ही रही है तो व्यापारियों को सीधे सीधे प्रति क्वींटल पर एक हजार से 15 सौ रूपये का फायदा सीधा मिल रहा है जबकि किसानो की कम फसल होने के कारण किसान मंडी तक पहुंचे ही नही। अनुमान के मुताबीक अब तक सिफ सूरजगढ में ही 8 करोड़ से अधिक का अनाज के नाम पर घोटाला हो चुका है जबकि जिले के अन्य क्षेत्रों में भी इस प्रकार के घोटाले खुलेआम चल रहे है।
सूरजगढ़ स्थित क्रय-विक्रय सहकारी समिति केन्द्र पर मूंग की पैदावार कम पहुंचने को लेकर हमने बार बार खबरे प्रकाशित की गई थी। तब भी समिति के अधिकारियों ने बताया था की किसान अभी मूंग की फसल काटने में किसान जुटे है जिसके कारण मूंग की पैदावार आने में समय लगेगा। लेकिन इसी बीच केन्द्र सरकार की नोटबंदी की घोषणा के बाद अचानक ही क्रय-विक्रय सहकारी समिति केन्द्र पर बड़ी संख्या में मूंग की पैदावार पहुंचने लगी। जो कि वास्तव में किसानों के अनाज नही बल्कि दुसरे राज्य व जिलों से व्यापारियों द्वारा खरीदे गये अनाज ही था। किसान संगठनों को जब इसकी भनक लगी तब मामले की हकिकत सामने आई और मीडिया के सामने जानकारी दी। किसानों के द्वारा बताये गये गोदामो तक जब हम पहुंचे तो बड़ी मात्रा में गोदाम में रखा मूंग नजर आया। इस संबध में जब व्यापारियों से जानकारी चाही तो व्यापारी मौके से नौ-दो ग्यारह हो गये। जिसके बाद हमने सहकारी समिति के अधिकारियों व उपखण्ड अधिकारी सहित संबधित विभाग को सूचना दी लेकिन कार्यवाई तो दूर दुबारा फोन तक नही उठाया गया। दुसरी और मौके पर पहुंची मीडिया को देख व्यापारियों ने गोदाम को ताला लगा कर फरार होते देर नही लगी। मामले की हकिकत जानने के लिये हमने व्यापारियों से भी सम्पर्क किया लेकिन कोई भी कुछ बोलने को तैयार नही हुआ। आखिरकार व्यापारियों ने रात के अंधेरे में गोदाम के बाहर ताला लगाकर रातों रात ट्रको में मूंग लदवाकर झुंझुनूं रवाना करना शुरू कर दिया। किसानों का आरोप है कि स्थानीय व्यापारी दुसरे राज्यों और जिले के कम किमत पर मूंग की खरीद-फरोख्त कर सरकार को उच्चे दामो पर मूंग बेच रहे है। जबकि कभी कभार भूला भटका किसान अपनी फसल लेकर मंडी पहुचता है तो क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अधिकारी बहाना बनाकर किसान की फसल नही खरिदते है। आखिरकार निराश किसान को मजबूरन मंडी में ही अनाज को कम किमत पर बेचने को मजबूर हो जाते है।
सूत्रों के मुताबीक मंडी के व्यापारियों ने अपनी काली जमा पंूजि को ठिकाने लगाने के लिये क्षेत्र के विश्वासपात्र किसानों का सहयोग लिया और साथ ही इस बड़े घोटाले में पटवारी और ग्राम सेवको की मदद से किसानों के फर्जी कागजात तैयार करवाये गये ताकि मूंग खरीद में लगी काली जमापूंजी सफेद होकर वापस व्यापारी के पास पहुंच सके। कई किसानों ने बीना कैमरे के ही मामले की पुरी कथा बताई जबकि कुछ किसान इस घोटाले पर खुलकर बोलते नजर आये। किसान संगठन ने आरोप लगाया कि इस बड़ घोटाले में विभागीय अधिकारियों और व्यापारियों की मिलीभगत के चलते सरकार को करोड़ो का चुना लगा चुके है इसकी जांच होनी चाहिये और दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिये। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि किसानों के नाम पर हो रही लूट की जांच नही हुई तो मजबूरन आन्दोलन करना पड़ेगा। दुसरी और इस संबध में क्रय-विक्रय सहकारी समिति के जनरल मैनेजर वीजय सिंह से घोटाले पर पक्ष जानना चाहा तो आरोपों का खण्डन करते नजर आये जबकि झुंझुनूं मुख्यालय के तकनिकी सहायक मुकेश कुमार ने बताया कि झुंझुनूं मुख्यालय मंडी के मुताबीक सूरजगढ मंडी से भारी मात्रा में मूंग जमा हुये है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस क्षेत्र में फसलों को कीड़ा लगने के कारण पैदावार नही के बराबर हुई उसी ईलाके से भारी मात्रा में मूंग कैसे खरिदा गया। सवाल बड़ा है और ऐसे में जरूरत है कि सरकार इस पुरे मामले की जांच करवाये ताकि धन कुबेरों के इस घोटाले का सत्य सामने आ सके।
Categories:
Business
Jhunjhunu
Jhunjhunu Distt
Jhunjhunu News
Latest