मंगलवार, 22 नवंबर 2016

आज भी भटकते रहे लोग, नहीं मिला कैश

खबर - प्रशांत गौड़
-महिलाओं के लिए नहीं अलग लाइन
जयपुर । घर का सारा काम छोड़कर बैंक से कैश लेने के लिए निकली कमला शर्मा को पिछले तीन दिन से बैंक में धक्के मिल रहे हैं। कमला को एटीएम चलाना नहीं आता है, ऐसे में बैंक में अपने खाते या पुराने नोट के बदले नए नोट लेने के लिए मजबूरन बैंक की लंबी कतार में खड़ा होना पड़ रहा है। मकान का किराया नहीं दिया है तो सब्जी वाले से उधार है। शहर में परेशान सैकड़ों महिलाओं को इसी तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। 
शहर में एटीएम, बैंकों के बाहर आज भी लोग भटकते दिखाई दिए। बैंकों के बाहर अपने खाते से राशि निकालने वालों की कतार सूरज चढऩे के साथ दिखाई दी। नोटबंदी के फैसले में बैंकों के आगे सबसे ज्यादा परेशानियां महिलाओं को आ रही हैं। महिलाओं के लिए अलग से कोई लाइन नहीं है। ऐसे में महिलाओं को घंटों खड़े रहना पड़ता है। घर का सारा काम छोड़कर लाइनों में लगना मजबूरी है तो लाइन में लगने के बाद जरूरी नहीं कि कैश मिल जाए। कमला शर्मा कतार में खड़े होने के बाद गश खाकर गिर गईं। वह मानसरोवर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा से राशि निकालने के लिए लगी थीं लेकिन जब घंटों खड़े होने के बाद नंबर आया तो बैंक वालों ने खाते से ही कैश दिए जाने को लेकर वापस लौटने को कहा, जिस पर उनको तनाव के कारण चक्कर आ गए। महिलाओं को इस तरह की परेशानियां बैंक में हर रोज उठानी पड़ रही हैं।
बच्चों का खाना बनाने का समय नहीं:  परकोटे निवासी सुमन ने बताया कि बैंकों के बाहर लाइन में लगने की समस्या है तो नंबर आ जाए तो यह पता नहीं कि अंदर कैश मिलेगा या नहीं। एटीएम केन्द्र पर सुबह से भीड़ दिखती है। महिलाएं कैश बदलाने के लिए अपने परिवार के साथ पहुंचीं।
ग्राहकों की जेब खाली
फोर्टी के अतिरिक्त महामंत्री गिरिराज खंडेलवाल ने कहा कि देश के व्यापार जगत का करीब नब्बे फीसदी कारोबार नकदी से होता है। आज हालत यह है कि न तो ग्राहक की जेब में रुपया है और न ही छोटे दुकानदार के पास। इससे बाजार में बिक्री और खरीद रुक गई है। उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों छोटे व्यापारी हैं जो कि करोड़ों मजदूरों को रोजगार का जरिया भी हैं। आज इन करोड़ों मजदूरों को भुगतान करने का अपूर्व संकट सामने आ गया है।

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