रविवार, 20 नवंबर 2016

उधार मांग कर या उधार खरीद कर काम चलाना पड़ रहा है

खबर - जगत जोशी
रावतसर:-प्रधानमंत्री द्वारा पाचं सौ व हजार के नोटो को बंद की घोषणा के बाद कस्बे मंे पिछले कई दिनो से बैकों के बाहर भारी लाईने लगी रही। अब दो दिन से बैकों में कैष खत्म होने के चलते लौगो को भारी परेषानी का सामना करना पड़ रहा है। वही एटीएम में भी पैसे नही होने के चलते लौगो को अपनी छोटी छोटी जरूरतों के लिए उधार मांग कर या उधार खरीद कर काम चलाना पड़ रहा है वही कैष के चक्कर में आ रहे आस पास के ग्रामीण क्षैत्र के किसानो व ग्रामीणो सबसे ज्यादा आर्थिक व मानसिक परेषानी बनी हुई है। सब्जी वाले को सब्जी, दुध वालो को दूध बेचने व किरयाने वाले को सामान बेचने मे भारी परेषानी का सामना करना पड़ा। नोट बदलने के चक्कर मे बाजार मे भी दुकानदार खाली बैठे नजर आये। नोट बंद होने के कारण गरीब वर्ग के लोगो को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। गरीब के पास खून पसीने की कमाई से जमा पुजी को बाजार मे नही चलने व गरीब वर्ग के लोगो को राषन आदि लेने के लाले पड़े हुये है। उन्हे कही से राषन नही मिल रहा था और जो पास मे जमा पूंजी थी वो अब नकारा हो चुकी थी। कस्बे के कई गणमान्य नागरिको ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोट बंद करने के फैसले को सही बताते हुए बताया कि जिस तरह से प्रधानमंत्री ने नोट बंद किये है उस तरह से भ्रष्टाचार पर अकूंष नही लगाया जा सकता है। इस फैसले से आम आदमी को सबसे ज्यादा परेषानी उठानी पड़ी है। वही दूसरी और अमीर वर्ग को कोई फर्क पड़ता नजर नही आया। अब तक बैको की लाईनो मे सबसे ज्यादा गरीब व मध्यम वर्ग के ही लोगो को देखा गया है कही अमीर वर्ग के लोगो को लाईन मे खड़ा नही देखा गया।

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