खबर - सूर्यप्रकाश लाहौरा
मंडावा, केंद्र सरकार द्वारा किए गए नोटबंदी के बाद से किसान परेशान हो गये हैं। खेती किसानी के मौसम में वे बैंको के चक्कर लगा रहे हैं। किसानों के बैंक से जाना जाने वाले केंद्रीय सहकारी बैंक के शाखाओं में नोटबंदी के बाद भी न तो खातेदार किसानों को रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित राशि का ही भुगतान हो रहा है और न ही नोटों की अदला-बदली। हजार व पांच सौ का नोट जमा करने का ही काम इन शाखाओं में हो रहा है, जिसके लिये भी किसानों को पसीना बहाना पड़ रहा है। किसान नेता व मेहरादासी सरपंच सज्जन पूनियां ने मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे से व सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक को व्हाट्सएप से प्रेषित ज्ञापन में इस ओर ध्यानाकृष्ट कराते हुये किसान हित में तत्काल इन शाखाओं में भुगतान तथा अदला-बदली हेतु नये नोट उपलब्ध कराने की व्यवस्था का आग्रह किया है।
रबी फसलों की सिंचाई को लेकर किसान परेशान हैं। बाजार से सामग्री खरीदने के लिए उसके पास रुपए नहीं हैं। मंडी में उसे अनाज के नकद रुपए मिल नहीं रहे हैं। इंजन, मोटर, पाइप और मजदूरों के लिए रुपए चाहिए। फसल चौपट होने के कारण उन पर पहले से ही आर्थिक संकट चल रहा था। बैंक खाते से पहले ही किसान रुपए निकाल कर बीज, खाद और देनदारी में लगा चुके हैं। कम बारिश के कारण खरीफ की फसल इतनी प्रभावित हुई कि किसान की लागत के बराबर खर्च नहीं निकल पाया। जो रही सही कसर थी सरकार के नोट बंदी फैसले के बाद पूरी हो गई। अब उसे फसल सिंचाई के लाले पड़े हैं।
मंडावा, केंद्र सरकार द्वारा किए गए नोटबंदी के बाद से किसान परेशान हो गये हैं। खेती किसानी के मौसम में वे बैंको के चक्कर लगा रहे हैं। किसानों के बैंक से जाना जाने वाले केंद्रीय सहकारी बैंक के शाखाओं में नोटबंदी के बाद भी न तो खातेदार किसानों को रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित राशि का ही भुगतान हो रहा है और न ही नोटों की अदला-बदली। हजार व पांच सौ का नोट जमा करने का ही काम इन शाखाओं में हो रहा है, जिसके लिये भी किसानों को पसीना बहाना पड़ रहा है। किसान नेता व मेहरादासी सरपंच सज्जन पूनियां ने मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे से व सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक को व्हाट्सएप से प्रेषित ज्ञापन में इस ओर ध्यानाकृष्ट कराते हुये किसान हित में तत्काल इन शाखाओं में भुगतान तथा अदला-बदली हेतु नये नोट उपलब्ध कराने की व्यवस्था का आग्रह किया है।
रबी फसलों की सिंचाई को लेकर किसान परेशान हैं। बाजार से सामग्री खरीदने के लिए उसके पास रुपए नहीं हैं। मंडी में उसे अनाज के नकद रुपए मिल नहीं रहे हैं। इंजन, मोटर, पाइप और मजदूरों के लिए रुपए चाहिए। फसल चौपट होने के कारण उन पर पहले से ही आर्थिक संकट चल रहा था। बैंक खाते से पहले ही किसान रुपए निकाल कर बीज, खाद और देनदारी में लगा चुके हैं। कम बारिश के कारण खरीफ की फसल इतनी प्रभावित हुई कि किसान की लागत के बराबर खर्च नहीं निकल पाया। जो रही सही कसर थी सरकार के नोट बंदी फैसले के बाद पूरी हो गई। अब उसे फसल सिंचाई के लाले पड़े हैं।
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