खबर - अरुण मूंड
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान हुआ कारगर साबित, सभी आठों ब्लॉकों में बढ़ा है यह लिंगानुपात
जिले में लिंगानुपात बढऩे के साथ ही घटी संस्थागत प्रसवों की संख्या
झुंझुनू। जिले में गत तीन वर्ष से लगातार जीवित जन्म शिशु दर के आंकड़ों के अनुसार बालिका लिंगानुपात में सुधार हो रहा है। वर्ष 2014-15 से इस वर्ष 55 अंकों का सुधार हुआ है, जबकि गत वर्ष 2015-16 से 43 अंको की बढ़ोत्तरी हुई है। जिले में 30278 संस्थागत प्रसवों में से 15 हजार 534 लडक़े व 14744 लड़किया पैदा हुई है। गत वर्ष 2015-16 में बालिका लिंगानुपात 903 था, जबकि इस वर्ष 949 हो गया है। जिले के कुल आठ ब्लॉकों में से सबसे अधिक सुधार उदयपुरवाटी में हुआ है। इस ब्लॉक का बालिका लिंगानुपात 1041 है, जबकि खेतड़ी का 1037 आया है। वहीं अलसीसर का 978, सूरजगढ़ का 952, चिडावा व बुहाना का 941, नवलगढ़ का 933 व झुंझुनूं ब्लॉक का 927 बालिका लिंगानुपात है। सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के पीसीटीएस के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर सामने आया है कि जिले में किए गए डिकॉय ऑपरेशनों व बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं एवं समय समय पर चलाये जाने वाले जनजागरूकता अभियानों का जिले में असर दिखाई दिया है। इसी का नतीजा है कि जिले के बालिका लिंगानुपात में लगातार सुधार हो रहा है। चौधरी ने बताया कि जिन ब्लॉकों में बालिका लिंगानुपात में बेहत्तर सुधार देखा जा रहा है, वहां संस्थागत प्रसवों की संख्या बहुत ही कम है। यदि जिले के समस्त प्रसवों के आंकड़ों का विश्लेषण लिया जाए, तभी सही प्रकार से जिले की बालिका लिंगानुपात की स्थिति साफ दिखाई देगी। लेकिन 30 हजार 278 संस्थागत प्रसवों में भी जिले में बढ़ते बालिका लिंगानुपात का आंकलन किया जा सकता है। जिले में प्रजनन दर के अनुसार 42 हजार 500 के करीब शिशुओं का जन्म होना चाहिए। जबकि आंकड़े केवल 30 हजार 278 के ही है। राजन चौधरी का मानना है कि उदयपुरवाटी में 2388 शिशु पैदा हुए, जिसमें से 1170 लडक़े व 1218 लड़किया, वहीं खेतड़ी ब्लॉक में कुल 1037 शिशु पैदा हुए, जिसमें 595 लडक़े व 617 लड़किया पैदा हुई है। बुहाना ब्लॉक में 1951 शिशु पैदा हुए, जिसमें 1005 लडक़े व 946 लड़किया, अलसीसर ब्लॉक में कुल 1416 शिशुओं में 716 लडक़े व 700 लड़किया पैदा हुई है। इस प्रकार कम संख्या पर लिंगानुपात दिखाई तो अच्छा देता है, लेकिन संख्या कम होने कारण फिजिबल नही माना जा सकता। सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी का कहना है कि यदि जीवित शिशु जन्मदर के आंकड़ों में इसी तरह प्रतिवर्ष बालिका लिंगानुपात में सुधार होता रहा, तो यह जिले के लिए अच्छी बात है। लेकिन इसकी सत्यता की जांच 2021 की जनगणना में जिले के बालिका लिंगानुपात की स्थिति ओर अधिक साफ हो जाएंगी।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान हुआ कारगर साबित, सभी आठों ब्लॉकों में बढ़ा है यह लिंगानुपात
जिले में लिंगानुपात बढऩे के साथ ही घटी संस्थागत प्रसवों की संख्या
झुंझुनू। जिले में गत तीन वर्ष से लगातार जीवित जन्म शिशु दर के आंकड़ों के अनुसार बालिका लिंगानुपात में सुधार हो रहा है। वर्ष 2014-15 से इस वर्ष 55 अंकों का सुधार हुआ है, जबकि गत वर्ष 2015-16 से 43 अंको की बढ़ोत्तरी हुई है। जिले में 30278 संस्थागत प्रसवों में से 15 हजार 534 लडक़े व 14744 लड़किया पैदा हुई है। गत वर्ष 2015-16 में बालिका लिंगानुपात 903 था, जबकि इस वर्ष 949 हो गया है। जिले के कुल आठ ब्लॉकों में से सबसे अधिक सुधार उदयपुरवाटी में हुआ है। इस ब्लॉक का बालिका लिंगानुपात 1041 है, जबकि खेतड़ी का 1037 आया है। वहीं अलसीसर का 978, सूरजगढ़ का 952, चिडावा व बुहाना का 941, नवलगढ़ का 933 व झुंझुनूं ब्लॉक का 927 बालिका लिंगानुपात है। सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के पीसीटीएस के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर सामने आया है कि जिले में किए गए डिकॉय ऑपरेशनों व बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं एवं समय समय पर चलाये जाने वाले जनजागरूकता अभियानों का जिले में असर दिखाई दिया है। इसी का नतीजा है कि जिले के बालिका लिंगानुपात में लगातार सुधार हो रहा है। चौधरी ने बताया कि जिन ब्लॉकों में बालिका लिंगानुपात में बेहत्तर सुधार देखा जा रहा है, वहां संस्थागत प्रसवों की संख्या बहुत ही कम है। यदि जिले के समस्त प्रसवों के आंकड़ों का विश्लेषण लिया जाए, तभी सही प्रकार से जिले की बालिका लिंगानुपात की स्थिति साफ दिखाई देगी। लेकिन 30 हजार 278 संस्थागत प्रसवों में भी जिले में बढ़ते बालिका लिंगानुपात का आंकलन किया जा सकता है। जिले में प्रजनन दर के अनुसार 42 हजार 500 के करीब शिशुओं का जन्म होना चाहिए। जबकि आंकड़े केवल 30 हजार 278 के ही है। राजन चौधरी का मानना है कि उदयपुरवाटी में 2388 शिशु पैदा हुए, जिसमें से 1170 लडक़े व 1218 लड़किया, वहीं खेतड़ी ब्लॉक में कुल 1037 शिशु पैदा हुए, जिसमें 595 लडक़े व 617 लड़किया पैदा हुई है। बुहाना ब्लॉक में 1951 शिशु पैदा हुए, जिसमें 1005 लडक़े व 946 लड़किया, अलसीसर ब्लॉक में कुल 1416 शिशुओं में 716 लडक़े व 700 लड़किया पैदा हुई है। इस प्रकार कम संख्या पर लिंगानुपात दिखाई तो अच्छा देता है, लेकिन संख्या कम होने कारण फिजिबल नही माना जा सकता। सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी का कहना है कि यदि जीवित शिशु जन्मदर के आंकड़ों में इसी तरह प्रतिवर्ष बालिका लिंगानुपात में सुधार होता रहा, तो यह जिले के लिए अच्छी बात है। लेकिन इसकी सत्यता की जांच 2021 की जनगणना में जिले के बालिका लिंगानुपात की स्थिति ओर अधिक साफ हो जाएंगी।