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करते रहे गुनाह हम बेटों के शौक में, कितने ही मैडल मार दिये जीते जी कोख में

खबर - राजकुमार चोटिया
सुजानगढ़-
बिजारणियां बास में नशा मुक्ति मोर्चा और जीण माता सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से भोर तक श्रोताओं को बांधे रखा। कवि सम्मेलन के संयोजक पीथाराम ज्याणी ने बताया कि कवि सम्मेलन का शुभारम्भ जस्ट्सि फॉर छाबड़ा की राष्ट्रीय संयोजिका पूनम अंकूर छाबड़ा ने दीप प्रज्जवलन कर किया। कवि सम्मेलन में रायबरेली की कवियत्री शबिस्ता ब्रजेश ने साम्प्रदायिक सौहार्द पर कहा कि ना तुम हिन्दू मुझे लिखना ना मुसलमान लिख देना अगर लिखना है जरूरी हो मुझ इंसान लिख देना। ना वेदों की ऋचायें और ना ही कुरान की आयत को कफन पर मीत मेरे सिर्फ हिन्दूस्तान लिख देना। शबिस्ता ब्रजेश के काव्य पाठ को खुब दाद मिली। लाडनूं के राजेश विद्रोही ने वतन के रहबरों से एक दिन इंसाफ मांगेगे, ये जुठी पतलें चुनकर जवां होते हुए बच्चे को करतल ध्वनी से सराहा गया। सुजानगढ़ के डा. घनश्यामनाथ कच्छावा ने राजस्थानी रचना माटी री भींत रो परदेसी मीत रो, झूठां री जीत रो, नुगरा री रीत रो काईं भरोसो? को सराहना मिली। सीकर के गजेन्द्रसिंह कविया की रचना बिल्ले ने खूब मंथन किया और खूब टटोला मर्म, तो कमाई का एक ही धंधा मिला आस्था और धर्म से करारा व्यंग्य किया। पिलानी के राजकुमारसिंह राज ने बेटियों के संरक्षण पर कहा करते रहे गुनाह हम बेटों के शौक में, कितने ही मैडल मार दिये जीते जी कोख में। लूणकरणसर के राजूराम बिजारणियां ने छांव सरीखी बेटी है, गोपाल सुजानगढ़ी की सोने चांदी की महक छोडक़र मिट्टी की तरफ हूं, अजय थोरी की जब हम जवां होंगे, देवीलाल महिया की इंसान की कौम थी, हिन्दू मुसलमां हो गई, परमेश्वर रूलाणियां की छायादार पेड़, हरिराम गोपालपुरा के राजस्थानी दोहों और हास्य कवि सोहनदान चारण की प्रस्तुतियों ने रंग जमाया। संचालन कवि हरिश हिन्दूस्तानी ने किया। मोटाराम बिजारणियां, भोमाराम बिजारणियां, लालचन्द, कानाराम जाखड़, हड़मानाराम भामूं, हेमाराम फांडी, भंवरलाल सहारण, रामेश्वरी भारी, हरिसिंह जानूं, भीमसिंह आर्य, सुरेश अरोड़ा, सुभाष बेदी, चंचल दुधोडिय़ा, ज्योति कच्छावा, डा. योगिता सक्सेना, शर्मिला सोनी, पार्षद महावीर मण्डा, श्यामलाल गोयल आदि ने कवियों का सम्मान किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सुरेन्द्र भामू, मूलाराम फांडी, विनोद बिजारणियां, महेन्द्र बिजारणियां, मुरारी कड़वासरा, प्रभु बिजारणियां, विक्रम ज्याणी सहित अनेक कार्यकर्ताओं ने अपना योगदान दिया।