किस-किस को बाहरी बताएंगे सभापति : सुंडा
सुंडा ने दी सभापति को राजनैतिक सीख, जिन्हें सौंपा जाता है नेतृत्व, उसका अपमान करना ठीक नहीं
झुंझुनूं। देरवाला में बायो-सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर कलेक्ट्रेट पर जारी धरना शुक्रवार को 19वें दिन भी जारी रहा। इसके साथ ही अब जुबानी जंग भी शुरू हो गई है। सभापति सुदेश अहलावत द्वारा बार-बार यह कहा जाने पर कि ग्रामीणों को बरगलाकर कुछ बाहरी लोग आंदोलन कर रहे हैं। जिनके साथ किसी भी प्रकार की कोई वार्ता नहीं करनी। पर देरवाला पहाड़ी संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा ने कहा है कि पहले तो सभापति अहलावत साफ करें कि आखिर बाहरी किसे बता रहे हैं? आंदोलन की अगुवाई करने वाली गांव की सरपंच रेखादेवी व पूर्व उप सभापति बिमला बेनीवाल, दोनों गांव की बहू है। जिन्हें बाहरी बताकर सभापति रिश्तों की मर्यादा तोडऩे का काम कर रहे है। रही बात सुंडा की तो, वे आठवीं तक देरवाला में पढ़े है तो उनकी खेती की जमीन भी देरवाला में ही आती है। लेकिन इन तथ्यों को भी अपनी हठधर्मिता से सभापति सुंडा को बाहरी बताते है तो उन्हें बता देना चाहते है कि फिर तो यह सूची काफी लंबी होगी। जिसमें खुद सभापति भी शामिल है। क्योंकि ना तो सभापति झुंझुनूं नगर परिषद के मूल निवासी है और ना ही झुंझुनूं विधायक झुंझुनूं विधानसभा के मूल निवासी है, भाजपा ने भाजपा जिलाध्यक्ष राजीवसिंह शेखावत को गत चुनावों में झुंझुनूं विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया था। तो वे भी झुंझुनूं विधानसभा के मूल निवासी नहीं है। लेकिन जनता ने सभापति, झुंझुनूं विधायक को अपना नेतृत्व सौंपा है। जिसका सम्मान सभी लोग करते है और कभी भी बाहरी बोलकर जनता की जनभावनाओं का अपमान नहीं करते। सुंडा ने प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि इस तरह तो आने वाले समय में सभापति अपने अलावा सभी को बाहरी बताकर किसी से बात नहीं करेंगे। संभव यह भी है कि शायद बाहरी का दर्जा देकर झुंझुनूं विधायक को भी नगर परिषद की बैठकों में बुलावा ना दिया जाए। उन्होंने बार-बार बाहरी के बयान पर आक्रोश जताते हुए कहा है कि सभापति ने देरवाला के हजारों ग्रामीणों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। इसके लिए पहले उन्हें माफी मांगनी होगी और फिर आगे की बात करने के लिए ग्रामीण तय करेंगे कि चर्चा करनी है या नहीं। प्रेस वार्ता में युवा विकास मंच के अध्यक्ष मनोज मील, सुरेश बेनीवाल, रामनिवास, संदीप रोहिला, महेश हर्षवाल, बलबीर हनुमानपुरा आदि मौजूद थे।
ग्रामीण समझने को तैयार, लेकिन सभापति नहीं
प्रेस वार्ता में संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने बताया कि जिन मुद्दों को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था। उसके बाद 12 दिसंबर को प्रशासन के साथ वार्ता हुई। जो सकारात्मक रही। जिसमें जिन प्लांटों को लेकर लड़ाई लड़ी जा रही है। उन पर भी चर्चा हुई और तय किया गया कि देरवाला में बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगेगा। सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के लिए भी ग्रामीणों से चर्चा की जाएगी। उन्हें प्लांट के बारे में बताया जाएगा और कोई भी निर्णय ग्रामीण लेंगे। वो मंजूर होगा। जिस पर प्रशासन, नगर परिषद व संघर्ष समिति सभी सहमत थे। लेकिन सहमत नहीं थे तो वो केवल सभापति। केवल मात्र लिखित आश्वासन नहीं देने पर यह आंदोलन आज भी जारी है और जारी रहेगा।
अब नहीं लगेगा प्लांट, ग्राम सभा में ले लिया निर्णय
संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने बताया कि पूर्व में किए गए समझौते में ग्रामीण इस बात पर राजी थे कि यदि सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर ग्रामीणों के साथ सकारात्मक चर्चा होती है तो उसे लगाने या ना लगाने पर पुर्नविचार किया जा सकता है। लेकिन जब नगर परिषद सभापति अपने जिद पर है तो अब एक जिद के आगे हजारों ग्रामीणों ने निर्णय ले लिया है कि कोई भी प्लांट देरवाला में नहीं लगेगा। यदि प्रशासन जबरदस्ती लगाना चाहेगा तो जान जाएगी। लेकिन प्लांट के लिए जगह नगर परिषद को नहीं दी जाएगी। अब चाहे कुछ भी हो नगर परिषद को नई जगह ही इन प्लांटों के लिए ढूंढनी होगी।
मोडा पहाड़ में क्यों ना लगाया जाए प्लांट, सस्ती बिजली भी मिलेगी
संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने नगर परिषद की कचरा निस्तारण की समस्या समाधान को लेकर भी सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि हमारा मकसद केवल बखेड़ा खड़ा करना नहीं। बल्कि समस्या का समाधान के लिए सुझाव भी देती है। नगर परिषद का दावा है कि प्लांट लगने के बाद ना केवल विकास होगा। बल्कि सस्ती बिजली भी मिलेगी। इसलिए इस प्लांट को मोडा पहाड़ क्षेत्र में लगाया जाए। ताकि मोडा पहाड़ क्षेत्र का विकास होगा। जहां पर बड़ी संख्या में क्रेशर चलती है। इसके अलावा मोडा पहाड़ क्षेत्र में संचालित क्रेशरों को भी सस्ती बिजली मिलेगी। सुंडा ने बताया कि फिलहाल भी कचरा मोडा पहाड़ क्षेत्र में डाला जा रहा है। जहां पर यदि प्लांट भी लगेगा तो कोई विरोध नहीं होगा। यह अलग बात है कि इस सुझाव के बाद मोडा पहाड़ क्षेत्र के लोगों का विरोध शुरू करवा दिया जाए। लेकिन यहां के लोगों को खुले कचरे से निजात मिलेगी और प्लांट लगने से क्षेत्र का विकास होगा। लेकिन इस क्षेत्र में कुछ लोगों का व्यक्तिगत स्वार्थ जुड़ा हुआ है। इसलिए शायद यहां पर ना तो पत्रकार कॉलोनी विकसित की जा रही है और ना ही पार्षदों की मांग पर ध्यान दिया जा रहा है। जिसमें उन्होंने इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र घोषित ना करने की मांग की है।
अब लेंगे प्रस्ताव, पैराफेरी से दो आजादी
संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने बताया कि मुख्यमंत्री के सामने कुछ लोगों के विरोध करने के तथ्य पेश करने वाली झुंझुनूं नगर परिषद की असलियत विशेष ग्राम सभा में सामने आ गई। अब जल्द ही दूसरी एक और विशेष ग्राम सभा बुलाई जाकर निर्णय लिया जाएगा कि जब तक वर्तमान नगर परिषद के अधिकारी और सभापति है। तब तक उन्हें पैराफेरी एरिया से दूर रखा जाए और उन्हें ऐसा विकास नगर परिषद से नहीं चाहिए। जो गांव को विनाश की ओर ले जाए। साथ ही अन्य पैराफेरी एरिया की ग्राम पंचायतों से भी ऐसा ही निवेदन कर सरकार को प्रस्ताव बनाकर भिजवाने की कोशिश होगी। क्योंकि नगर परिषद अपने स्वार्थ के लिए पैराफेरी गांवों को याद करती है। इसके अलावा कोई सुध नहीं ली जा रही।
बायो वेस्ट पर बैक फुट पर क्यों?
संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने बताया कि जो नगर परिषद दोनों प्लांटों के जरिए विकास की बात कर रही थी। आखिरकार उन्होंने भी बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को नहीं लगाने फैसला क्यों लिया है? यह जवाब नगर परिषद को देना होगा। यदि ग्रामीण विरोध नहीं करते तो शायद दोनों ही प्लांट लगाने में नगर परिषद कामयाब हो जाता। लेकिन अब एक प्लांट को नहीं लगाने का फैसला लेकर नगर परिषद ने यह साबित कर दिया है कि ग्रामीणों का आंदोलन सही था। वहीं अभी नगर परिषद दूसरा कदम भी जरूर उठाएगी।
संघर्ष समिति ही करेगी बातचीत
सरपंच रेखादेवी ने प्रेस वार्ता में साफ किया है कि इस मामले में जो भी प्रशासन या फिर नगर परिषद से बातचीत संघर्ष समिति ही करेगी। यदि कोई यह मानता है कि ये बाहरी लोग है। तो उन्हें बातचीत के लिए कोई न्यौता नहीं दे रहा है। बातचीत का न्यौता प्रशासन की ओर से संघर्ष समिति या फिर पंचायत के पास आता है तो वार्ता में संघर्ष समिति के ही लोग शामिल होंगे।
कल एक बार फिर होगा शक्ति प्रदर्शन
युवा विकास मंच के अध्यक्ष मनोज मील ने बताया कि हालांकि नगर परिषद पर शक्ति प्रदर्शन का कोई भी असर नहीं होता है। बावजूद इसके ग्रामीण अपनी एकजुटता का परिचय एक बार फिर देंगे। 31 दिसंबर को गांव के प्राचीन तालाब को श्रमदान का साफ सुथरा किया जाएगा और इसी दिन ग्रामीण इस तालाब को फिर से पुराना वैभव लौटाने का संकल्प लेंगे। ताकि मुख्यमंत्री के जल स्वावलंबन अभियान को भी गति मिल सके।
आवारा पशुओं के लिए देरवाला के ग्रामीण तैयार
प्रेस वार्ता में दिनेश सुंडा, रेखादेवी, मनोज मील और बिमला बेनीवाल ने कहा कि आवारा पशुओं के लिए बनाई जानी वाली गौशाला के लिए पूरी पंचायत तैयार है। पंचायत का तो यहां तक कहना है कि फिलहाल 10 हैक्टेयर प्लांटों के लिए और तीन हैक्टेयर गौशाला के लिए आवंटन किया गया है। पूरी की पूरी 13 हैक्टेयर भूमि गौशाला के लिए तैयार की जाए। जिसमें ग्रामीण भी अपना सहयोग देंगे। जिसके बाद पूरे जिले में आवारा पशुओं की समस्या समाप्त हो जाएगी।
सुंडा ने दी सभापति को राजनैतिक सीख, जिन्हें सौंपा जाता है नेतृत्व, उसका अपमान करना ठीक नहीं
झुंझुनूं। देरवाला में बायो-सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर कलेक्ट्रेट पर जारी धरना शुक्रवार को 19वें दिन भी जारी रहा। इसके साथ ही अब जुबानी जंग भी शुरू हो गई है। सभापति सुदेश अहलावत द्वारा बार-बार यह कहा जाने पर कि ग्रामीणों को बरगलाकर कुछ बाहरी लोग आंदोलन कर रहे हैं। जिनके साथ किसी भी प्रकार की कोई वार्ता नहीं करनी। पर देरवाला पहाड़ी संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा ने कहा है कि पहले तो सभापति अहलावत साफ करें कि आखिर बाहरी किसे बता रहे हैं? आंदोलन की अगुवाई करने वाली गांव की सरपंच रेखादेवी व पूर्व उप सभापति बिमला बेनीवाल, दोनों गांव की बहू है। जिन्हें बाहरी बताकर सभापति रिश्तों की मर्यादा तोडऩे का काम कर रहे है। रही बात सुंडा की तो, वे आठवीं तक देरवाला में पढ़े है तो उनकी खेती की जमीन भी देरवाला में ही आती है। लेकिन इन तथ्यों को भी अपनी हठधर्मिता से सभापति सुंडा को बाहरी बताते है तो उन्हें बता देना चाहते है कि फिर तो यह सूची काफी लंबी होगी। जिसमें खुद सभापति भी शामिल है। क्योंकि ना तो सभापति झुंझुनूं नगर परिषद के मूल निवासी है और ना ही झुंझुनूं विधायक झुंझुनूं विधानसभा के मूल निवासी है, भाजपा ने भाजपा जिलाध्यक्ष राजीवसिंह शेखावत को गत चुनावों में झुंझुनूं विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया था। तो वे भी झुंझुनूं विधानसभा के मूल निवासी नहीं है। लेकिन जनता ने सभापति, झुंझुनूं विधायक को अपना नेतृत्व सौंपा है। जिसका सम्मान सभी लोग करते है और कभी भी बाहरी बोलकर जनता की जनभावनाओं का अपमान नहीं करते। सुंडा ने प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि इस तरह तो आने वाले समय में सभापति अपने अलावा सभी को बाहरी बताकर किसी से बात नहीं करेंगे। संभव यह भी है कि शायद बाहरी का दर्जा देकर झुंझुनूं विधायक को भी नगर परिषद की बैठकों में बुलावा ना दिया जाए। उन्होंने बार-बार बाहरी के बयान पर आक्रोश जताते हुए कहा है कि सभापति ने देरवाला के हजारों ग्रामीणों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। इसके लिए पहले उन्हें माफी मांगनी होगी और फिर आगे की बात करने के लिए ग्रामीण तय करेंगे कि चर्चा करनी है या नहीं। प्रेस वार्ता में युवा विकास मंच के अध्यक्ष मनोज मील, सुरेश बेनीवाल, रामनिवास, संदीप रोहिला, महेश हर्षवाल, बलबीर हनुमानपुरा आदि मौजूद थे।
ग्रामीण समझने को तैयार, लेकिन सभापति नहीं
प्रेस वार्ता में संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने बताया कि जिन मुद्दों को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था। उसके बाद 12 दिसंबर को प्रशासन के साथ वार्ता हुई। जो सकारात्मक रही। जिसमें जिन प्लांटों को लेकर लड़ाई लड़ी जा रही है। उन पर भी चर्चा हुई और तय किया गया कि देरवाला में बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगेगा। सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के लिए भी ग्रामीणों से चर्चा की जाएगी। उन्हें प्लांट के बारे में बताया जाएगा और कोई भी निर्णय ग्रामीण लेंगे। वो मंजूर होगा। जिस पर प्रशासन, नगर परिषद व संघर्ष समिति सभी सहमत थे। लेकिन सहमत नहीं थे तो वो केवल सभापति। केवल मात्र लिखित आश्वासन नहीं देने पर यह आंदोलन आज भी जारी है और जारी रहेगा।
अब नहीं लगेगा प्लांट, ग्राम सभा में ले लिया निर्णय
संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने बताया कि पूर्व में किए गए समझौते में ग्रामीण इस बात पर राजी थे कि यदि सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर ग्रामीणों के साथ सकारात्मक चर्चा होती है तो उसे लगाने या ना लगाने पर पुर्नविचार किया जा सकता है। लेकिन जब नगर परिषद सभापति अपने जिद पर है तो अब एक जिद के आगे हजारों ग्रामीणों ने निर्णय ले लिया है कि कोई भी प्लांट देरवाला में नहीं लगेगा। यदि प्रशासन जबरदस्ती लगाना चाहेगा तो जान जाएगी। लेकिन प्लांट के लिए जगह नगर परिषद को नहीं दी जाएगी। अब चाहे कुछ भी हो नगर परिषद को नई जगह ही इन प्लांटों के लिए ढूंढनी होगी।
मोडा पहाड़ में क्यों ना लगाया जाए प्लांट, सस्ती बिजली भी मिलेगी
संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने नगर परिषद की कचरा निस्तारण की समस्या समाधान को लेकर भी सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि हमारा मकसद केवल बखेड़ा खड़ा करना नहीं। बल्कि समस्या का समाधान के लिए सुझाव भी देती है। नगर परिषद का दावा है कि प्लांट लगने के बाद ना केवल विकास होगा। बल्कि सस्ती बिजली भी मिलेगी। इसलिए इस प्लांट को मोडा पहाड़ क्षेत्र में लगाया जाए। ताकि मोडा पहाड़ क्षेत्र का विकास होगा। जहां पर बड़ी संख्या में क्रेशर चलती है। इसके अलावा मोडा पहाड़ क्षेत्र में संचालित क्रेशरों को भी सस्ती बिजली मिलेगी। सुंडा ने बताया कि फिलहाल भी कचरा मोडा पहाड़ क्षेत्र में डाला जा रहा है। जहां पर यदि प्लांट भी लगेगा तो कोई विरोध नहीं होगा। यह अलग बात है कि इस सुझाव के बाद मोडा पहाड़ क्षेत्र के लोगों का विरोध शुरू करवा दिया जाए। लेकिन यहां के लोगों को खुले कचरे से निजात मिलेगी और प्लांट लगने से क्षेत्र का विकास होगा। लेकिन इस क्षेत्र में कुछ लोगों का व्यक्तिगत स्वार्थ जुड़ा हुआ है। इसलिए शायद यहां पर ना तो पत्रकार कॉलोनी विकसित की जा रही है और ना ही पार्षदों की मांग पर ध्यान दिया जा रहा है। जिसमें उन्होंने इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र घोषित ना करने की मांग की है।
अब लेंगे प्रस्ताव, पैराफेरी से दो आजादी
संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने बताया कि मुख्यमंत्री के सामने कुछ लोगों के विरोध करने के तथ्य पेश करने वाली झुंझुनूं नगर परिषद की असलियत विशेष ग्राम सभा में सामने आ गई। अब जल्द ही दूसरी एक और विशेष ग्राम सभा बुलाई जाकर निर्णय लिया जाएगा कि जब तक वर्तमान नगर परिषद के अधिकारी और सभापति है। तब तक उन्हें पैराफेरी एरिया से दूर रखा जाए और उन्हें ऐसा विकास नगर परिषद से नहीं चाहिए। जो गांव को विनाश की ओर ले जाए। साथ ही अन्य पैराफेरी एरिया की ग्राम पंचायतों से भी ऐसा ही निवेदन कर सरकार को प्रस्ताव बनाकर भिजवाने की कोशिश होगी। क्योंकि नगर परिषद अपने स्वार्थ के लिए पैराफेरी गांवों को याद करती है। इसके अलावा कोई सुध नहीं ली जा रही।
बायो वेस्ट पर बैक फुट पर क्यों?
संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा व देरवाला सरपंच रेखादेवी ने बताया कि जो नगर परिषद दोनों प्लांटों के जरिए विकास की बात कर रही थी। आखिरकार उन्होंने भी बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को नहीं लगाने फैसला क्यों लिया है? यह जवाब नगर परिषद को देना होगा। यदि ग्रामीण विरोध नहीं करते तो शायद दोनों ही प्लांट लगाने में नगर परिषद कामयाब हो जाता। लेकिन अब एक प्लांट को नहीं लगाने का फैसला लेकर नगर परिषद ने यह साबित कर दिया है कि ग्रामीणों का आंदोलन सही था। वहीं अभी नगर परिषद दूसरा कदम भी जरूर उठाएगी।
संघर्ष समिति ही करेगी बातचीत
सरपंच रेखादेवी ने प्रेस वार्ता में साफ किया है कि इस मामले में जो भी प्रशासन या फिर नगर परिषद से बातचीत संघर्ष समिति ही करेगी। यदि कोई यह मानता है कि ये बाहरी लोग है। तो उन्हें बातचीत के लिए कोई न्यौता नहीं दे रहा है। बातचीत का न्यौता प्रशासन की ओर से संघर्ष समिति या फिर पंचायत के पास आता है तो वार्ता में संघर्ष समिति के ही लोग शामिल होंगे।
कल एक बार फिर होगा शक्ति प्रदर्शन
युवा विकास मंच के अध्यक्ष मनोज मील ने बताया कि हालांकि नगर परिषद पर शक्ति प्रदर्शन का कोई भी असर नहीं होता है। बावजूद इसके ग्रामीण अपनी एकजुटता का परिचय एक बार फिर देंगे। 31 दिसंबर को गांव के प्राचीन तालाब को श्रमदान का साफ सुथरा किया जाएगा और इसी दिन ग्रामीण इस तालाब को फिर से पुराना वैभव लौटाने का संकल्प लेंगे। ताकि मुख्यमंत्री के जल स्वावलंबन अभियान को भी गति मिल सके।
आवारा पशुओं के लिए देरवाला के ग्रामीण तैयार
प्रेस वार्ता में दिनेश सुंडा, रेखादेवी, मनोज मील और बिमला बेनीवाल ने कहा कि आवारा पशुओं के लिए बनाई जानी वाली गौशाला के लिए पूरी पंचायत तैयार है। पंचायत का तो यहां तक कहना है कि फिलहाल 10 हैक्टेयर प्लांटों के लिए और तीन हैक्टेयर गौशाला के लिए आवंटन किया गया है। पूरी की पूरी 13 हैक्टेयर भूमि गौशाला के लिए तैयार की जाए। जिसमें ग्रामीण भी अपना सहयोग देंगे। जिसके बाद पूरे जिले में आवारा पशुओं की समस्या समाप्त हो जाएगी।
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