शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

25 दिसंबर को देरवाला के ग्रामीण करेंगे सभी की बोलती बंद : सुंडा

खबर - अरुण मूंड
धरना 12वें दिन भी जारी, कांग्रेस नेताओं ने की भत्र्सना, भाजपा ने साधी चुप्पी
झुंझुनूं।
देरवाला में बायो और सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के विरोध में देरवाला पहाड़ी संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे कलेक्ट्रेट पर धरने को शुक्रवार को 12वां दिन रहा। धरने को विभिन्न संगठनों ने समर्थन दिया और आंदोलन में हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इस मौके पर संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा ने कहा कि 25 दिसंबर को प्रस्तावित विशेष ग्राम सभा के लिए ग्रामीणों में जबरदस्त उत्साह है। ग्रामीण इतनी भारी संख्या में ग्राम सभा में शामिल होंगे और इन प्लांटों का विरोध करेंगे कि अब तर्क देकर जो प्रशासन व सत्ता के नेता बोल रहे है। उनकी बोलती बंद हो जाएगी। साथ ही गांव के लोगों के बीच दो फाड़ कराने वाले लोगों को भी मुंह की खानी पड़ेगी। क्योंकि यह मामला कोई राजनैतिक नहीं। बल्कि गांव के सम्मान और भविष्य से जुड़ा हुआ है। सुंडा ने बताया कि इस मामले में एक तरफ कांग्रेस के नेता भत्र्सना कर रहे है। वहीं अपने आपको संवेदनशील बताने वाले भाजपा नेताओं की चुप्पी साबित करती है कि वे इस मामले में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मिले हुए है। इधर, धरने को पूर्व उप सभापति बिमला बेनीवाल, युवा विकास मंच के अध्यक्ष मनोज मील, देरवाला सरपंच रेखादेवी, मंगेज मीणा, महेश हर्षवाल, अनिल बेनीवाल आदि ने संबोधित किया। इधर, विशेष ग्राम सभा में प्लांट को वोटिंग कराने की मंशा भी समिति रखती है। जिसके लिए शुक्रवार को सुंडा व मील ने एडीएम एमआर बागडिय़ा से लिखित में एप्लीकेशन देकर मतपेटियां मांगी। लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया। सुंडा ने बताया कि चाहे जो हो। लेकिन किसी भी सूरत में ग्रामीण झुकेंगे नहीं और यदि कोई प्लांट लगाने की कोशिश करेगा तो जान पर खेलकर ग्रामीण विरोध करेंगे।
पूर्व सीएम के बाद अब पीसीसी के पूर्व चीफ आए समर्थन में
सुंडा ने बताया कि धरने पर ग्रामीणों के साथ आ रही देरवाला की महिला सरपंच व महिलाओं के साथ पुलिस द्वारा की गई अभद्रता की निंदा गत दिनों पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की थी। इसके बाद पूरे जिले के सरपंच भी लामबंद हो रहे है और उन्होंने कार्रवाई को लेकर 25 दिसंबर तक का समय दिया है। वहीं शुक्रवार को मामले को गंभीर मानते हुए पीसीसी के पूर्व चीफ डॉ. चंद्रभान ने भी इसकी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि प्लांट को लेकर यदि कोई किंतु-परंतु है तो ग्रामीणों के साथ बैठकर मामला शांत करना चाहिए। जबकि चर्चा यह भी है कि वार्ता सकारात्मक रूप से चली और पूर्ण भी हुई। लेकिन नगर परिषद लिखित में आश्वासन नहीं देने पर अड़ा हुआ है। ऐसे में यह नगर परिषद की हठधर्मिता को दर्शाता है। बात चाहे किसान आंदोलन की हो या फिर चिकित्सकों के आंदोलन की या फिर कर्मचारियों के आंदोलन की। जब भी वार्ताएं हुई है तो उसका आंदोलनरत प्रतिनिधियों को लिखित में आश्वासन दिया गया है। लेकिन यदि नगर परिषद लिखित में आश्वासन नहीं दे रही है तो यह लोकतंत्र में सही नहीं है। उधर, शुक्रवार को पूर्व मंत्री एवं नवलगढ़ विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा ने भी इसकी निंदा की है। उन्होंने कहा कि मामला निपटा निपटाया है। लेकिन केवल जिद के कारण ना केवल मामले को अटका रखा है। बल्कि मामले को अटकाने के चक्कर में कभी महिला सरपंच पर तो कभी महिलाओं पर बर्बरता की जा रही है। जो कतई सही नहीं है।

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