नाकामियां छिपाने के लिए उठाए गए कदमों का देना होगा जवाब : सुंडा
आज सरपंचों की आपात बैठक
झुंझुनूं। देरवाला की महिला सरपंच रेखादेवी के साथ दो दिन पहले सदर सीआई शंकरलाल छाबा द्वारा की गई अभद्रता के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में बुधवार को झुंझुनूं प्रधान सुशीला सिगड़ा के नेतृत्व में दो दर्जन से अधिक पंचायतों के सरपंचों ने जिला कलेक्टर के जरिए एसडीएम अलका विश्नोई को राज्यपाल के नाम मांग पत्र सौंपा और कहा कि यदि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होती है तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इधर, इस मामले के अगुवाई कर रहे संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा ने कहा है कि प्रशासन अपनी नाकामियां छुपाने के लिए जो अलोकतांत्रिक कदम उठा रहे है। उनकी भत्र्सना ना केवल जिले के लोग, बल्कि सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कर चुके है। ऐसे में प्रशासन केवल अपनी जिद के कारण ना केवल विरोध को बढ़ावा दे रहा है। बल्कि सरकार की छवि को भी धुमिल कर रहा है। सुंडा ने कहा कि दो दिन पहले जब मुख्यमंत्री झुुंझुनूं आ रही थी तो ग्रामीण अपने धरने पर जा रहे थे। लेकिन डर के मारे पुलिस ने जो लाठियां मारी। उसमें यह भी नहीं देखा की बुजूर्ग महिला भी उनकी चपेट में आ रही है। वहीं सदर सीआई ने तो महिला सरपंच के साथ अभद्रता कर सारी मर्यादा लांघ दी। जिसे कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। ज्ञापन देने वालों में आबूसर सरपंच रणवीरसिंह, पुरोहितों की ढाणी सरपंच जयरामसिंह, पंसस सदस्य शशि भारू, ढिगाल सरपंच सुशीला, पूर्व प्रधान बिमला बेनीवाल, पूर्व सरपंच ताराचंद, शेखसर सरपंच श्रीराम, बहादुरवास सरपंच व सिरियासर सरपंच रामप्यारी, पूर्व सरपंच प्यारेलाल बेनीवाल, पूर्व सरपंच करणीराम सहित अन्य शामिल थे। ज्ञापन की प्रति आईजी जयपुर रेंज व एसपी झुंझुनूं को भी दी गई है। जिसमें सीआई श्ंाकरलाल छाबा तथा अन्य दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की मांग की गई है।
किस बात का विरोध, नगर परिषद बताएं : सुंडा
इस मौके पर सुंडा ने स्पष्ट किया कि देरवाला में जो प्लांट लगने है। उसके लिए प्रशासन के साथ वार्ता हो गई। वो सफल भी रही। लेकिन महज मामला नगर परिषद के पास अटका हुआ है। गांव के लोग जो समझौता हुआ है। उसे लिखित में चाहते है और नगर परिषद उसे लिखित में नहीं देना चाहती। इससे स्पष्ट है कि नगर परिषद के नियत में कहीं ना कहीं खोट है। साथ ही सीएम वसुंधरा राजे ने भी मामले की रिपोर्ट मांगी बताई। जिसे भी तोड़ मरोड़ के पेश किए जाने की पूरी पूरी संभावना है। वर्तमान हालातों में अब नगर परिषद को बताना चाहिए कि वे इस विरोध को रोकने के लिए लिखित में आश्वासन क्यों नहीं देना चाहते?
झुंझुनूं। देरवाला की महिला सरपंच रेखादेवी के साथ दो दिन पहले सदर सीआई शंकरलाल छाबा द्वारा की गई अभद्रता के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में बुधवार को झुंझुनूं प्रधान सुशीला सिगड़ा के नेतृत्व में दो दर्जन से अधिक पंचायतों के सरपंचों ने जिला कलेक्टर के जरिए एसडीएम अलका विश्नोई को राज्यपाल के नाम मांग पत्र सौंपा और कहा कि यदि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होती है तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इधर, इस मामले के अगुवाई कर रहे संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सुंडा ने कहा है कि प्रशासन अपनी नाकामियां छुपाने के लिए जो अलोकतांत्रिक कदम उठा रहे है। उनकी भत्र्सना ना केवल जिले के लोग, बल्कि सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कर चुके है। ऐसे में प्रशासन केवल अपनी जिद के कारण ना केवल विरोध को बढ़ावा दे रहा है। बल्कि सरकार की छवि को भी धुमिल कर रहा है। सुंडा ने कहा कि दो दिन पहले जब मुख्यमंत्री झुुंझुनूं आ रही थी तो ग्रामीण अपने धरने पर जा रहे थे। लेकिन डर के मारे पुलिस ने जो लाठियां मारी। उसमें यह भी नहीं देखा की बुजूर्ग महिला भी उनकी चपेट में आ रही है। वहीं सदर सीआई ने तो महिला सरपंच के साथ अभद्रता कर सारी मर्यादा लांघ दी। जिसे कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। ज्ञापन देने वालों में आबूसर सरपंच रणवीरसिंह, पुरोहितों की ढाणी सरपंच जयरामसिंह, पंसस सदस्य शशि भारू, ढिगाल सरपंच सुशीला, पूर्व प्रधान बिमला बेनीवाल, पूर्व सरपंच ताराचंद, शेखसर सरपंच श्रीराम, बहादुरवास सरपंच व सिरियासर सरपंच रामप्यारी, पूर्व सरपंच प्यारेलाल बेनीवाल, पूर्व सरपंच करणीराम सहित अन्य शामिल थे। ज्ञापन की प्रति आईजी जयपुर रेंज व एसपी झुंझुनूं को भी दी गई है। जिसमें सीआई श्ंाकरलाल छाबा तथा अन्य दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की मांग की गई है।
किस बात का विरोध, नगर परिषद बताएं : सुंडा
इस मौके पर सुंडा ने स्पष्ट किया कि देरवाला में जो प्लांट लगने है। उसके लिए प्रशासन के साथ वार्ता हो गई। वो सफल भी रही। लेकिन महज मामला नगर परिषद के पास अटका हुआ है। गांव के लोग जो समझौता हुआ है। उसे लिखित में चाहते है और नगर परिषद उसे लिखित में नहीं देना चाहती। इससे स्पष्ट है कि नगर परिषद के नियत में कहीं ना कहीं खोट है। साथ ही सीएम वसुंधरा राजे ने भी मामले की रिपोर्ट मांगी बताई। जिसे भी तोड़ मरोड़ के पेश किए जाने की पूरी पूरी संभावना है। वर्तमान हालातों में अब नगर परिषद को बताना चाहिए कि वे इस विरोध को रोकने के लिए लिखित में आश्वासन क्यों नहीं देना चाहते?
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