बुधवार, 3 जनवरी 2018

दस दिवसीय आयुर्वेदिक कैम्प का हुआ समापन

खबर -जयंत खांखरा
शिविर में 83 आॅपरेशन व 824 मरीजो का हुआ ईलाज
केडिया परिवार ने कैम्प के लिए 50 हजार रूपये देने की घोषणा
खेतडी। कस्बे की राजकीय जयसिंह सीनियर उच्च माध्यमिक स्कूल में लगे 10 दिवसीय आयुर्वेदिक कैंप का बुधवार को समापन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला आयुर्वेद अधिकारी महावीर प्रसाद शर्मा थे। तथा विशिष्ट अतिथि एसडीएम संजय कुमार बासु, डीएसपी वीरेंद्र मीणा व चेयरमैन उमराव कुमार कुमावत रहे। आयुर्वेदिक कैंप में 824 आउटडोर मरीजों का इलाज किया वहीं 83 मरीजों के अर्श भगंदर के ऑपरेशन किए गए। जिला आयुर्वेद अधिकारी ने बताया की आयुर्वेद की महत्ता हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैल चुकी है आयुर्वेद को विदेशों में अपनाने लगे हैं आयुर्वेद का इलाज पुख्ता होता है लेकिन देरी से हो सकता है। इसलिए पुरखों ने भी आयुर्वेद का ही इलाज लेते थे। आज भी घरों में जड़ी बूटियों से इलाज किया जाता है वह भी आयुर्वेद की ही परिभाषा है। अर्श भगंदर के ऑपरेशन में एलोपैथिक के बजाय आयुर्वेद में ही कारगर इलाज है। एसडीएम संजय कुमार ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया अगर कैंप दोबारा खेतङी में लगता है तो जो भी प्रशासनिक व्यवस्था आएगी तथा भामाशाहों से सहयोग लेना है वह सारी कार्यवाही पूरी करके अच्छा कैंप आयोजित किया जाएगा। वही चेयरमैन उमराव कुमावत ने भी शिविर में सुविधा उपलब्ध करवाई। उन्होंने पानी बिजली साफ सफाई सारी व्यवस्थाएं अपने बुते पर करवाई वही नगद भी सहयोग किया। कैंप में कई भामाशाहो ने अपना अपना सहयोग भी दिया। केडिया परिवार ने अगले कैंप के लिए पचास हजार रूपये देने की घोषणा की। समापन कार्यक्रम में पूर्व विधायक दाताराम ने भामाशाह व डॉक्टरों का कैंप लगाने में किए सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया। डॉ जेएन पांडे ने स्वास्थ्य से संबंधित सभी मरीजों को मार्गदर्शन दिया। साथ ही किस तरह ऑपरेशन के बाद में उनको देखभाल करनी जैसी जानकारी से अवगत भी कराया। कार्यक्रम में प्रिंसिपल राधेश्याम शर्मा, अशोक सिंह शेखावत, मधुसूदन शर्मा, महेश स्वामी उपस्थित थे। कार्यक्रम में कमलेश शर्मा ने मरीजों व आए हुए सभी आगंतुकों का स्वागत किया व आयुर्वेदिक कैंप में सहयोग करने वालों का सम्मान भी किया गया।

मरीजों को मिली छुट्टी तो बिछड़ने पर छलछला आई मरीजों की आंखें
आयुर्वेदिक कैंप पूरा होने पर मरीजों को बुधवार को छुट्टी भी दे दी गई लेकिन मरीजों को जब छुट्टी दी गई तो उनको बिछड़ने पर आंखें भी डबडबाई। उन्होंने बताया यहां पर हमारी जो देखभाल की गई वह घर से भी बेहतर थी। समय-समय पर नाश्ता, खाना, दवाई सारी सुविधाएं बेड पर ही उपलब्ध होती थी। तथा जो ऑपरेशन किया तो भी हंसते हंसते ही ऑपरेशन किया गया। मरीजों को नए साल पर मनोरंजन भी करवाया गया तो कहीं न कहीं हमें हमारी व्यवस्थाएं या घर से भी बेहतर मिली इसलिए आज बिछड़ने पर आज दुख हो रहा है।

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