जयपुर। पशुपालन, मत्स्य एवं डेयरी विभाग, कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किये गये दिशा निर्देशों के अन्तर्गत प्रदेश में आयोजित होने वाले समस्त पशु मेलों व प्रदर्शनियों एवं संस्थानों में ग्लेण्डर्स रोग की जांच को एहतियात के तौर पर अनिवार्य किया गया है। पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने बताया कि ग्लेण्डर्स अश्व वंशीय पशुओं में होने वाला संक्रामक, संसर्गजन्य, आर्थिक एवं जूनोटिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रोग है। गत वर्षों में उत्तरप्रदेश, हिमाचल, जम्मू एवं कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में रोग चिन्हित होने के मध्यनजर भारत सरकार द्वारा सलाह जारी की गई है, ताकि रोग के फैलाव को नियंत्रित किया जा सके। उल्लेखनीय है कि राज्य में घोड़ों की प्रयोगशाला जांच के उपरान्त ग्लेण्डर्स रोग की पुष्टि होने पर प्रदेश के धौलपुर, अजमेर, रामसमंद एवं उदयपुर जिलें में घोड़ों की आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया गया है। पशुपालन निदेशक ने बताया कि आगामी 13 मार्च से आयोजित हो रहे श्री मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा, बाड़मेर में प्रतिभागी घोड़ों के लिए ग्लेण्डर्स रोग के सर्वेक्षण तथा निदान के लिए 17 फरवरी से 24 फरवरी, 2018 तक नजदीकी राजकीय पशु चिकित्सा संस्था में सम्पर्क कर जांच हेतु सीरम सैम्पल का संग्रहण आवश्यक रूप से कराया जाना है। उन्होंने बताया कि अश्व वंशीय पशुओं को ग्लेण्डर्स रोग की पुष्टि के लिए अनिवार्य एलिसा अथवा सी.एफ.टी. परीक्षण में निगेटिव जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर ही श्री मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा, बाड़मेर में प्रवेश दिया जा सकेगा। राज्य के धौलपुर, अजमेर, राजसमंद एवं उदयपुर जिलों से घोड़ों की आवाजाही प्रतिबंधित होने के कारण इन जिलों के अश्व वंशीय पशुओं की प्रतिभागिता पर पूर्णतया रोक रहेगी। डॉ. गुप्ता ने बताया कि ग्लेण्डर्स रोग सर्वेक्षण तथा निदान हेतु पशु चिकित्सा संस्थाओं के माध्यम से जांच नमूनों का संग्रहण कर राज्य रोग निदान केन्द्र, जयपुर तक इसके परिवहन आदि व्यवस्थाएं सुनिश्चित किये जाने की दृष्टि से समस्त संभागीय अतिरिक्त निदेशकों को निर्देशित किया गया है। सभी अश्वपालकों से अपील की गई है कि घोड़ों में ग्लेण्डर्स रोग के नियन्त्रण को दृष्टिगत रखते हुए ग्लेण्डर्स रोग के सर्वेक्षण तथा निदान में अपेक्षित सहयोग प्रदान करें तथा अपने अश्व वंशीय पशुओं को एलिसा अथवा सी.एफ.टी. जांच में निगेटिव पाये जाने पर ही पशु मेलों अथवा पशु प्रदर्शनियों में लेकर जावें।
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