सोमवार, 12 फ़रवरी 2018

झुंझुनूं के हाथ में लगातार पांचवीं बार झुनझुना : डॉ. शर्मा

खबर - विकास कनवा
जनसंवाद में सीएम ने खुद किए थे वादे, वो भी पूरे नहीं 
नवलगढ़ । नवलगढ़ विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा ने मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए गए बजट को फ्लॉप शो बताया है। डॉ. शर्मा ने यहां जारी प्रेस बयान में कहा है कि झुंझुनूं के हाथ लगातार 5वें बजट में भी केवल झुनझुना थमाया गया है। जनसंवाद के दौरान मुख्यमंत्री एक महीने तक झुंझुनूं रही। लोगों की समस्याएं सुनीं और झुंझुनूं की जरूरतें भी देखी बताई। लेकिन इस बजट से कहीं पर भी नहीं लगता कि एक महीने झुंझुनूं रहने के बाद भी यहां की समस्याओं और जरूरतों से मुख्यमंत्री रूबरू हुई है। डॉ. शर्मा ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि झुंझुनूं का युवा सरकारी कॉलेजों के लिए सड़कों पर है, मरने के लिए तैयार है। लेकिन इस सरकार को जरा सी भी फिक्र नहीं है। आवश्यकता होने के बावजूद चिड़ावा, बुहाना, उदयपुरवाटी, मंडावा आदि जगहों पर कॉलेज नहीं खोले जा रहे है। नवलगढ़ में अभी भवन भी नहीं बना है। उन्होंने इस मौके पर कहा कि नवलगढ़ के साथ जो सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। वो बदस्तूर इस बजट भी जारी रहा है। भाजपा के कथित नेताओं की मांग पर भी कुंभाराम लिफ्ट कैनाल से नवलगढ़ को जोडऩे की चर्चा तक नहीं की। सैटेलाइट अस्पताल और अन्य विकास कार्यों को लेकर भी कोई घोषणा ना करना। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार झुंझुनूं में विकास करवाना ही नहीं चाहती। उन्होंने तंज मारते हुए कहा कि सरकार के मंत्री स्तरीय अध्यक्ष ने गत दिनों लोहार्गल में 11 करोड़ रुपए लगाने की घोषणा की थी। यह घोषणा मुख्यमंत्री तक पहुंचते पहुंचते दो-तीन करोड़ में ही रह गई और जब तक धरातल पर आएगी। इसका नामो निशान ही मिट जाएगा।
वादा स्थायी करने का, बढ़ा दिए मामूली पैसे
डॉ. शर्मा ने महिला कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने पर भी सरकार को आड़े हाथ लिया है। डॉ. शर्मा ने कहा है कि सुराज संकल्प यात्रा में ना केवल महिला कार्यकर्ताओं को, बल्कि अन्य संविदाकर्मियों को स्थायी करने का वादा करने वाली मुख्यमंत्री ने चार सालों तक इनकी सुध तक नहीं ली और अब जाते-जाते नाम मात्र के पैसे बढ़ाकर जले पर नमक लगाने जैसा काम किया है।
किसानों के साथ किया धोखा
डॉ. शर्मा ने कहा कि किसानों के साथ भी सरकार ने धोखा दिया है। मंत्रियों के लिखित समझौते के बाद भी सरकार ने ऋण माफी को नियमों की पेचदिगियों में उलझा दिया है। जिसका फायदा किसानों को नहीं मिलेगा। वहीं युवाओं को रोजगार के नाम पर भी एक बार फिर लॉलीपॉप देने का काम किया है। जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा।
पन्ने देते है बजट का प्रमाण
डॉ. शर्मा ने कहा कि इस सरकार के बजट का प्रमाण लेने के लिए और कुछ गौर करने की जरूरत नहीं है। बजट के पन्नों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बजट बढ़ रहा है या फिर घट रहा है। वहीं विकास बढ़ रहा है या फिर घट रहा है। उन्होंने कहा कि 2016 में जहां सीएम ने 200 से अधिक पेज का बजट पेश किया था। वहीं गत साल 2017 में 100 से अधिक पेज का बजट पेश किया था। जो इस बार 80 पेज का रह गया है। यह भाजपा सरकार के विकास की दर को प्रमाणित करने के लिए काफी है।

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