शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

स्कूल बसों को आने दिया जाये शहर में -डाॅ. बलवन्तसिंह चिराना

सीकर। जिला निजी शिक्षण संस्था संघ ने जिला प्रशासन  से मांग की है कि सीकर शहर में यातायात नियंत्रण के लिए स्कूल-बसों (बाल वाहिनियों) के लिए लगाई गई पाबन्दी को हटाया जाए। संघ के प्रदेश  प्रवक्ता डाॅ. बलवन्तसिंह चिराना ने बताया कि संघ के एक प्रतिनिधि मण्डल ने शुक्रवार को जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से मिलकर उक्त नई यातायात व्यवस्था से विद्यार्थियों व अभिभावकों के सामने आई परेशानियों  से अवगत कराया। शहर में 24 सीट से अधिक सीटों वाली बसों के प्रवेश  पर रोक से स्कूलों के सामने संकट पैदा हो गया है। सीकर शहर में स्थित स्कूलों में गाँवों से हजारों बच्चे पढ़ने आते हैं, वहीं शहर में भी हजारों बच्चे बसों से सीकर शहर के बाहरी क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में जाते हैं। स्कूलों के पास अधिकांश  36 से 52 सीटों वाली बसें हैं।

संघ ने माँग है कि प्रशासन  का यह निर्णय अव्यावहारिक है। छोटे-छोटे बच्चों को लाने वाली बालवाहिनियों की तुलना वाणिज्यिक व सवारी ढ़ोने वाली लोकपरिवहन व रोड़वेज बसों से तुलना नहीं की जा सकती। स्कूल बसें शहर में एक घण्टा सुबह व एक घण्टा दोपहर में संचालित होती है। संघ ने मांग की है कि बालवाहिनियों को शहर में यथावत आने दिया जाए व इन्हें इस व्यवस्था से अलग रखा जाए।

प्रतिनिधिमंडल में नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष व भारतीय समूह के चैयरमेन हरिराम रणवा, संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष जगनसिंह चाहर, प्रदेश  प्रवक्ता डाॅ. बलवन्तसिंह चिराना, प्रिंस समूह के जोगेन्द्र सुण्डा, केशवानन्द समूह के रामनिवास ढ़ाका, यूरो स्कूल के शिवराम चौधरी , डेफोडिल्स के संजीव कुल्हरी, सीकर विद्यापीठ के श्रवण हरितवाल, यूनिक स्कूल के मुखराम भास्कर थे।

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