शनिवार दि॰ 03.02.18 फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी के उपलक्ष्य में
शनिवारीय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। कृष्ण पक्ष को आने वाली चौथ को
संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। पौराणिक मतानुसार कालांतर में संकटों से घिरे
देवगण साहयता हेतु महेश्वर के पास गए। इस पर महेश्वर ने कार्तिकेय व गणेश
की श्रेष्ठता के आधार पर किसी एक को देवताओं के संकट हरने को कहा तथा साथ
ही अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने हेतु सर्वप्रथम पृथ्वी की परिक्रमा करने का
आधार रखा। कार्तिकेय मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा हेतु निकल गए परंतु
गणेश जी की सवारी मूषक थी जिससे वो जीत नहीं सकते थे। इसी कारण गणेश जी ने
अपने माता-पिता अर्थात शिव-पार्वती की सप्त परिक्रमा करके यह विजय प्राप्त
की व देवगणों के संकट दूर किए। महेश्वर ने गणेश को आशीर्वाद दिया की
चतुर्थी पर जो व्यक्ति गणेश पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके तीनों
ताप अर्थात दैहिक, दैविक व भौतिक ताप दूर होंगे। शनिवारीय संकष्टी चतुर्थी
के विशेष व्रत, पूजन व उपाय से घर-परिवार में आ रही विपदाएं दूर होती हैं।
रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं तथा भौतिक सुखों की प्राप्ति होती
है।
विशेष पूजन विधि: गणपती का विधिवत पूजन करें। शुद्ध घी का दीप
करें, चंदन, धूप करें, गोलोचन चढ़ाएं, सफ़ेद फूल चढ़ाएं, दूर्वा चढ़ाएं, चार
लड्डू का भोग लगाएं, रुद्राक्ष की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें।
पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें। पूजन
के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
पूजन मुहूर्त: रात 19:58 से रात 20:58 तक।
चंद्र दर्शन मुहूर्त: रात 21:08 से रात 22:08 तक।
पूजन मंत्र: ॐ भक्तविघ्नविनाशनाय नमः॥
चंद्र दर्शन मुहूर्त: रात 21:08 से रात 22:08 तक।
पूजन मंत्र: ॐ भक्तविघ्नविनाशनाय नमः॥
उपाय
भौतिक सुखों की प्राप्ति हेतु गणेश जी पर बेलफल चढ़ाएं।
भौतिक सुखों की प्राप्ति हेतु गणेश जी पर बेलफल चढ़ाएं।
पारिवारिक विपदा से मुक्ति हेतु गणेश जी पर चढ़े गोलोचन से घर के मेन गेट पर तिलक करें।
रुके मांगलिक कार्य संपन्न करने हेतु शक्कर मिली दही में छाया देखकर गणपती पर चढ़ाएं।
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