सोमवार, 5 फ़रवरी 2018

नम आंखों से दी लाडले को आखिरी विदाई

खबर - जयंत खांखरा
अंतिम दर्शन के लिए उमड़े हजारों ग्रामीण
मेहाड़ा गुर्जरवास का कमलेश गुर्जर हुआ शहीद
कूपवाड़ा में हिमस्खलन से हुआ कमलेश शहीद
कलेक्टर-एसपी, विधायक सभी ने दी श्रद्धांजलि
बेटी की शादी धूमधाम से करने का था सपना
20 दिन पहले ही तय करके गए थे शादी
खेतड़ी -
कश्मीर के कूपवाड़ा जिले के माछिल क्षेत्र  में दो दिन पहले हुए हिमस्खलन में तीन जवान शहीद हो गए थे। इनमें से एक झुंझुनूं के मेहाड़ा गुर्जरवास निवासी कमलेश गुर्जर भी शामिल थे। जिनका आज राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। हजारों ग्रामीण महिलाओं, पुरुषों ने अपने लाडले को नम आंखों से विदाई दी।  कश्मीर के कूपवाड़ा जिले में माछिल क्षेत्र में हुए हिमस्खलन से एलओसी के समीप स्थित 21 राजपूत रेजीमेंट की चौकी दब गई। जिसमें तीन जवान शहीद हो गए। उनमें से एक थे झुंझुनूं के मेहाड़ा गुर्जरवास निवासी कमलेश गुर्जर। जिनका रविवार को पैतृक गांव में राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में महिलाओं और पुुरुषों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। वहीं जिला कलेक्टर दिनेश यादव, एसपी मनीष अग्रवाल, पूर्व मंत्री डॉ. जितेंद्रसिंह, खेतड़ी विधायक पूर्णमल सैनी, पूर्व विधायक दाताराम समेत पूर्व विधायक  हजारी लाल गुर्जर , इंजीनियर धर्मपाल गुर्जर,  सांसद संतोष अहलावत की तरफ से पूर्व सरपंच मानोता शीश राम गुर्जर,  उपखंड अधिकारी संजय कुमार वासु , बीसीएमओ छोटे लाल गुर्जर ने शहीद के पार्थिव  देह पर पुष्प चक्र अर्पित किए । अंतिम संस्कार में  फतेह सिंह बङाउ,  सहीराम गुर्जर,  उप प्रधान अमर सिंह गुर्जर,  पूर्व प्रधान मदनलाल ,कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष गोकुल चंद सैनी,  भाजपा जिला मंत्री गोकुल चंद ,थाना अधिकारी हरदयाल सिंह  ,तथा अन्य जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। सभी ने नम आंखों से कमलेश को विदाई दी। वहीं सेना की टुकड़ी और झुंझुनूं पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। शव के साथ कश्मीर से कमलेश के साथियों ने बताया कि हवलदार कमलेश काबिल जवानों में से था और जाबांज सिपाही के रूप में पहचान रखता था।
गांव के लोगों की मानें तो कमलेश मिलनसार व्यक्तित्व का धनी था। उसने ना केवल संघर्ष कर खुद के परिवार को संभाला है। बल्कि उन्हें अच्छी शिक्षा भी दिलवाई है। यही नहीं राष्ट्रप्रेम इस परिवार में इस कदर कूट कूट कर भरा हुआ है कि कमलेश तीन भाई और भी सेना में ही कार्यरत है। 42 वर्षीय कमलेश के परिवार को अधिक से अधिक सहायता देने की मांग पूर्व मंत्री डॉ. जितेंद्रसिंह ने सरकार से की है। वहीं खेतड़ी विधायक पूर्णमल सैनी ने भी शहीद की याद में बनने वाले स्मारक में विधायक कोटे से दो लाख रुपए देने की घोषणा की। साथ ही शहीद की याद को रिचस्थायी बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश करने का भी वादा किया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र को फक्र है कि कमलेश ने झुंझुनूं में देश के लिए दी जाने वाली शहादत की परंपरा को आगे बढ़ाया है। साथ ही उन्हें इस बात पर भी गर्व है कि देश की सुरक्षा करते करते 15 दिनों में खेतड़ी क्षेत्र के दो जवान शहीद हुए है। लेकिन उनके जाने का दुख भी है।
 मेहाड़ा गुर्जरवास निवासी सांवतराम गुर्जर के पुत्र कमलेश गुर्जर के अलावा एक पखवाड़े पहले ही खेतड़ी क्षेत्र के ताल निवासी शमशाद खान भी 17 जनवरी को शहीद हो गए थे। कमलेश मेहाड़ा गुर्जरवास गांव से दूसरे शहीद हैं। इससे पहले श्रीलंका में शांति सेना के ऑपरेशन में मदनलाल गुर्जर शहीद हुए थे। कमलेश की शहादत पर कल से ही गांव के बाजार नहीं खुले। दो दिन से बाजार शोक में बंद हैं। वहीं दो दिन से गांव में चूल्हे भी नहीं जले। आज अंतिम यात्रा में शामिल लोगों ने अपने लाडले की शहादत पर अमर रहे के नारे भी लगाए। वहीं उनके सबसे बड़े पुत्र राहुल ने उन्हें मुखाग्नि दी। सांवत की बेटी ममता बीएससी फाइनल में है तो सबसे छोटा पुत्र रवि नौंवीं कक्षा में पढ़ता है।
 कमलेश बीस दिन पहले छुट्टी काट ड्यूटी पर गए थे। उस समय बेटी की शादी तय की और कहा था कि अप्रैल में शादी करेंगे। शादी की तैयारियां की जा रही थी। कमलेश मिलनसार थे। छुट्टी आते तो सबसे मिला करते थे। कमलेश युवाओं को फौज में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते थे। यही कारण है कि गांव के 40 से अधिक युवा देश सेवा के लिए फौज में हैं। गुर्जरवास निवासी सांवतराम व उनकी पत्नी बादामी देवी के तीन बेटे हैं। तीनों ही सेना में हैं। कमलेश गुर्जर सबसे बड़े थे। छोटे भाई रामेश्वर व प्रकाश भी सेना में हैं। कमलेश की शादी धर्मदड़ा की सुमित्रा से हुई थी।  कमलेश मार्च 1999 में सेना में भर्ती हुए थे। परिवार में ताऊ के पोते मनीराम व माडूराम फौज में हैं।

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