दलित आदिवासियों एक हो जाओं, दिन में तारे दिखाने का समय आ गया है वरना सब-कुछ चला जाएगा:- सुरेश मीणा
कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत बंद का करो ऐलान
सौशल मिडिया पर ही नही धरातल पर भी दिखानी होगी ताकत
अधिकार नही मिलने तक न सोयेंगे न सोने देंगे: श्री मीनसेना
दलित आदिवासियों के साथ अन्याय बर्दाश्त नही
आवाज दो हम सब एक है फिर से कहो हम एक है
आखरी वक्त है फिर ना पछताना दो अप्रेल को सड़को पर चले आना
चुपके-चुपके दलित आदिवासियों को कोर्ट के बहाने बर्बाद करने पर तुले है:- मीणा
जयपुर:- श्री मीनसेना के राष्ट्रीय प्रमुख सुरेश मीणा किशोरपुरा ने आज देश के दलित आदिवासियों को संदेश देते हुए कहा कि वक्त की अहमियत को समझ लेना मेरे भाईयो नही तो पुराने समय से चली आ रही कहावत ''अब पछताये क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत'' चरितार्थ हो जाएगी! उन्होनें 21 मार्च को भारतीय संविधान निर्मित एससी/एसटी कानुन 1989 के दिये गये अधिकारों को न्यायपालिका द्वारा अपनी हठधर्मिता के बिना विधायिका की अनुमति लिये बिना ही संविधान से बाहर कर दिया जो देश के दलित वर्ग के साथ अब तक का सबसे बड़ा अन्याय है जिसे दलित आदिवासी सहन नही करेंगा उन्होनें इसके लिए श्री राष्ट्रीय मीनसेना के द्वारा दलित व आदिवासियों के लिए 2 अप्रेल से विशाल जनसमुदाय के साथ आन्दोलन की आग में कूदने का ऐलान किया है! उन्होनें कहा कि जब 2001 से लेकर आज तक एससी/एसटी के साथ सुप्रीम कोर्ट के द्वारा विभिन्न अधिकारों को हटा दिया गया जिसमें पदोन्नति में आरक्षण, रोस्टर प्रणाली, बैकलॉग, भर्तिया(लगभग सत्तर लाख) अनुसूचित जनजाति संविधान के तहत अनु. 5 व 6 जिसमें आदिवासियों को विशेष अधिकार दिये गये थे! जिसमें विडम्बना देखिये कि आजादी के सत्तर साल बाद भी लागू ही नही किया! इसी तरह भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा वैसे ही भारतीय न्यायायिक सेवा भी होनी चाहिए! भारतीय न्याय व्यवस्था में आजादी के सत्तर साल हो गये आज तक इसमें न तो आरक्षण को लागू नही किया गया! पिछले पांच वर्षो के दौरान एससी/एसटी के परीक्षार्थियों को सभी प्रकार की फीस देनी पड़ रही है जो पहले नही लगती थी! मीणा ने कहा कि यही नही भारतीय संविधान में कही भी निजीकरण का उल्लेख नही है! मनोवादियों ने उसे चैलेंज करते हुए विभिन्न सरकारी संस्थाओं में निजीकरण कर दिया जैसे सड़क, ट्रांसफर, शिक्षा, रेल्वे, ग्राम पंचायतो, में सहायक भर्तियो में इत्यादि ओर देश के चौथे स्तम्भ मीडिया है उसमें आज तक आरक्षण व्यवस्था लागू ही नही की गई! सुरेश मीणा ने कहा कि ये हमारी परीक्षा की घड़ी है मनोवादियों के इशारे पर सरकार के लोग हमारा करंट चैक कर रहै है! उन्होने कहा कि हम वंचित पिछड़ो को अधिकार दिलाने के लिए बाबा साहेब अम्बेडकर व हमारे हजारों पुरखों ने वर्षों तक सघर्ष किया है उस सघर्ष को हम व्यर्थ नही जाने देंगे ! उन्होनें कहा कि कान खाेल के देश की सरकार सुन ले की हमारे आरक्षण काे भी आप चुपके-चुपके कोर्ट के माध्यम से खत्म करने की फिराक में हो! हमें यह भी पता है कि 21 मार्च को हमें संविधान के द्वारा दिया गया अधिकार आप की सरकार के इशारे पर कोर्ट ने फैसला दिया है! ये दलित आदिवासियों की बर्बादी की शुरुआत आपने की है! उन्होनें कहा कि सरकार ने आज भारत के 45 करोड़ दलित आदिवासियों को बीच सड़क पर आंसू बहाने को मजबूर कर दिया है! उन्होनें कह कि एक-एक आंसू का सूत सहित बदला नही लिया तो हम हमारे पुरखो की औलाद नही! उन्होनें कहा कि जब तक हमारे अधिकार हमें वापिस नही दिये गये तब तक हम चैन से नही बैठेंगे! उन्होने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक के आदिवासियों व दलितो को संगठित होकर पुरजोर तरीके से इस आन्दोलन की आग में कूदने की अपील की! उन्होनें कहा कि हमे जब तक हमारे अधिकार नही मिलेंगे तब तक हम न सोयेंगे न सोने देंगे! मीणा ने कहा कि एससी/एसटी एक होकर देश की सड़को को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए जान की बाजी लगा देंगे! हमारे अधिकारों को लेकर रहेंगे! जाे गोपनिय तरीके से भारतीय संविधान को बदलकर मनोवादी संविधान बनाने की योजना चल रही है उसको हम किसी भी सूरत में कामयाब नही होने देंगे! चाहे हमें किसी भी हद को पार करना पड़े! मीणा ने देश के आदिवासियों से कहा कि अब सड़को पर उतरकर सरकार को दिन में तारे दिखाने का समय आ गया है! उन्होनें दो अप्रेल को अपने-अपने गांव-ढाणी, कस्बों, शहरों में पूरे मन से अपने हितो की रक्षा के लिए भारत बंद करने में सहयोग करने की मांग की है! मीणा के नेतृत्व में पिछले पांच दिन से सैकड़ो लोग दो अप्रेल से होने वाले इस आन्दोलन में सहयोग करने के लिए न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे भारत भर में एससी/एसटी के प्रमुख लोगों से सम्पर्क कर रहें है!
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