बीकानेर(जयनारायण बिस्सा)। मुस्लिम के शादी समारोह में डीजे बजाने, बैंड के साथ बारात निकालने तथा चादर जुलूस में ढ़ोल-नगाड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। तन्जीमे अईम्मा व उलमाऐ अहले सुन्नत बीकानेर की ओर से हसनैन चैरिटेबल ट्रस्ट में आयोजित बैठक में फैसला लिया गया। समाज का जो भी व्यक्ति इस निर्णय को नहीं मानेगा, उलेमा उसका निकाह नहीं पड़ाएंगें। पत्रकारों को इसकी जानकारी देते हुए मो खालिद अयूब ने बताया कि इस ऐलान से पूर्व समाज के मौलानाओं व धर्मगुरूओं के साथ साथ समाज के मौजिज लोगों के साथ बैठकें की गई है। सभी की सहमति से डीजे पर पाबंदी लगाई गई। इसके अलावा बैठक में इस बात का निर्णय भी लिया गया कि समाज में मृत्यु भोज नहीं किया जायेगा और न ही दहेज का प्रदर्शन। उन्होंने डीजे को गलत बताते हुए कहा की इस्लाम धर्म में शोर-शराबे और नाच-गाने की इजाजत नहीं है। फिर भी कान फोडऩे वाली आवाज में शादियों के दौरान डीजे बजाया जाता है और बैंड पर नाच-गाना होता है। इससे ध्वनि प्रदूषण भी होता है। इसलिए बैठक ने यह निर्णय लिया की इस पर रोक लगाई जाए। हाफि ज मुनीर अहमद ने कहा डीजे पर वाहियात की इंतहा की जाती है। हमारे नौजवान बच्चे डीजे पर शराब पीकर बेतुके गानों पर नाचते दिखाई देते हैं। उन्होनें कहा कि पहले इस बदलाव को शहरी स्तर पर लागू किया जायेगा और रमजान के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में भी समाज के लोगों से समझाईश की जायेगी। तनजीम के सदर इकरामुद्दीन ने कहा कि समाज कुरीतियों को खत्म करने की यह पहल कर रहा है। इसके बाद शराबबंदी,जुआ-सट्टा तथा अन्य सामाजिक बुराईयों को समाप्त कराने का अभियान चलायेगा। यहीं नहीं बालिका शिक्षा के लिये स्कूल-कॉलेज को खोला जायेगा। प्रेस वार्ता में मौलाना नसरूद्दीन,मौलाना असगर फरीदी,मौलाना अब्दुल वाहिद भी मौजूद रहे।
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