खबर - प्रशांत गौड़
जयपुर 13 मई 2008 की वो मनहूस तारीख जयपुर कभी भूल नहीं पाएगा। दहशतगर्दों ने जयपुर का अमन चैन छीनने और देश में अपनी नापाक गतिविधियों को बढ़ावा देने के अंजाम से एक के बाद एक सीरियलवार किए पांच बम धमाकों में सैकड़ों घायल होने के साथ करीब 63 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। खून से लथपथ सड़क, हर तरफ चीत्कारते लोग और मौत का तंडाव देखकर हर किसी को दिल कांप उठा था लेकिन उस दर्द, दहशत को अपने सीने में समेट एक जूनून और जोश के साथ जयपुर फिर उठा और आंतकवाद के खिलाफ लाखों शहरवासियों ने वो ही जस्बा दिखाया। इसी जस्बे के साथ आंतकवाद को खात्मा और बुलंद इरादों के साथ हर साल 13 मई को याद करते है।
जयपुर के इतिहास में कहर बनकर आई इस तारीख को बीते भले ही 10 साल हो गए है, लेकिन इस घटना के शिकार बने कई लोगों और परिवारों के जख्म आज भी पूरी तरह से सूख नहीं पाए हैं। 13 मई 2008 को शाम के समय में अक्सर व्यस्त रहने वाले शहर के बाजारों में लोग आम दिनों के जैसे ही घूमने के लिए निकले थे और मंगलवार का दिन होने के कारण शहर के कई हनुमान मंदिरों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ भी थी। इसी बात का फायदा उठाते हुए दहशतगर्दों ने अपने नापाक मंसूबों को अन्जाम देने के लिए कुछ ऐसी ही जगहों को चुना। चांदपोल हनुमान मंदिर से शुरू होकर शहर की चारदीवारी में कई जगहों पर एक के बाद एक धमाके हुए। इन धमाकों में जहां 63 बेकसूर लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, वहीं 200 से ज्यादा लोग घायल हुए, जिनमें से कुछ लोगों की जिंदगी ही उस दिन के बाद पहले से काफी बदल गई और इनके जख्म आज भी नहीं भर पाए हैं लेकिन जयपुर के लडऩे का हौसला देखिए जिन मंदिरों के बाहर लोगों में दहशत पैदा करने के लिए यह घमाके किए गए आज उन मंदिरों के बाहर श्रद्धालुओं की उससे ज्यादा भीड़ ओर अटूट आस्था लोगों की देखने को मिलतीहै। जयपुर हर बार यही दिखाता है कि आंतक के आगे उसके हौसले कभी कमजोर नहीं होंगे।
13 मई 2008, मंगलवार का दिन और वक्त शाम के तकरीबन 7 बजकर 10 मिनट पर सबसे पहला धमाका चांदपोल हनुमान मंदिर के सामने हुआ, जहां सैकड़ों की तादाद मेें श्रद्धालु मौजूद थे। तीसरा धमाका कोतवाली थाने के सामने, चौथा धमाका छोटी चौपड़ पर, पांचवा धमाका बड़ी चौपड़ पर हवामहल के नजदीक, छठा धमाका नेशनल हैंडलूम के सामने, सांतवा धमाका जौहरी बाजार में, आठवां धमाका त्रिपोलिया बाजार में और आखिरी धमाका सांगानेरी गेट के पास हनुमान मंदिर के सामने किया गया। ये सभी धमाके महज 15 मिनट के अंदर ही एक के बाद एक सभी जगहों पर किये गए।
पिंकसिटी के वाशिंदों के लिए 13 मई 2008 की वो शाम भी और दिनों की तरह से आम थी और मंगलवार होने की वजह से हनुमान मंदिर पर दशज़्न करने वालों की काफी भीड़ थी। तभी मंदिर के ठीक सामने एक जोरदार आवाज हुई, जिसके बाद कईं आवाजें आना शुरू हो गई। कुछ देर के बाद आसपास में ही लोगों को बुरी तरह से घायल अवस्था में देखा तो वहां का नजारा देख सभी के होश उड़ गए। चारों ओर मचे कोहराम के बीच हर कोई उसी का एक हिस्सा नजर आ रहा था। आज भी ये लोग उस दिन को याद करके सिहर उठते हैं, जब उनका कोई अपना शाम को बाजार जाने के लिए निकला था और उसके बाद आज तक भी घर नहीं लौट पाया लेकिन जयपुर फिर उठा और अब उन दु:खभरी यादों को दिल में समेटकर आगे बढ़ चला है।