(फोटो साभार @rashtrapatibhvn) |
खबर - विशेष
जयपुर - देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को सियाचिन बेस कैम्प की यात्रा की तथा वहां तैनात जवानों को संबोधित किया। उन्होंने कुमार पोस्ट का भी दौरा किया। राष्ट्रपति कोविंद सियाचिन की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय राष्ट्रपति हैं। इससे पहले पिछली सियाचिन यात्रा अप्रैल 2004 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी। इस प्रकार राष्ट्रपति कोविंद 14 वर्षों के बाद सियाचिन की यात्रा करने वाले पहले राष्ट्रपति हैं।
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सैनिकों का संकल्प और समर्पण अत्यधिक प्रशंसा के लायक है
जवानों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में तथा सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर के रूप में वे पूरे देश की कृतज्ञता को साथ लेकर आये हैं। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि सियाचिन विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है और विषम जलवायु में सामान्य जीवन जीना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में, सैनिकों के निरंतर लामबंद रहने और युद्ध के लिए तैयार रहना असाधारण बात है। उनका संकल्प और समर्पण अत्यधिक प्रशंसा के लायक है और भारत की सुरक्षा के प्रति उनकी निष्ठा हमारे नागरिकों के लिए एक आदर्श है। पिछले 34 वर्षों से सियाचिन में पदास्थापित हमारे सैन्यकर्मियों की वीरता तथा पराक्रम ने प्रत्येक भारतीय को यह भरोसा दिया है कि हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं।
(फोटो साभार @rashtrapatibhvn) |
भारत के सभी नागरिक और भारत सरकार सदैव उनके तथा उनके परिजनों साथ हैं
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वे सियाचिन में सैन्यकर्मियों को यह संदेश देने आये हैं कि भारत के सभी नागरिक और भारत सरकार सदैव उनके तथा उनके परिजनों साथ हैं।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सियाचिन युद्ध स्मारक को श्रद्धांजलि दी।
1,000 सैन्यकर्मियों का प्रतीक सियाचिन युद्ध स्मारक
यह स्मारक सियाचिन में वीरगति को प्राप्त 11,000 सैन्यकर्मियों का प्रतीक है जिन्होंने 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना द्वारा प्रारंभ किए गए ऑपरेशन मेघदूत के बाद अपने प्राणों का बलिदान दिया है।
1,000 सैन्यकर्मियों का प्रतीक सियाचिन युद्ध स्मारक
यह स्मारक सियाचिन में वीरगति को प्राप्त 11,000 सैन्यकर्मियों का प्रतीक है जिन्होंने 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना द्वारा प्रारंभ किए गए ऑपरेशन मेघदूत के बाद अपने प्राणों का बलिदान दिया है।
(इनपुट - पीआईबी )