खबर -राजेश वैष्णव
चलो बुलावा आया है..........
दुर्गा पूजा में उमड़ रहा है श्रद्धा का सैलाब
दांतारामगढ़ । सांझ ढ़लने के साथ ही कस्बे के महिला पुरूष व बच्चे दो विपरित दिशा की ओर दौड़े जाते है,जल्दी जल्दी बढ़ते कदम कहीं देर ना हो जाए। भागदौड़ कर रहे इन लोगों की ट्रेन नही निकल रही बल्कि दुर्गा पूजा की आरती में शामिल होना है। कोई कस्बे के किले में चल रही दुर्गा पूजा में तो कोई पहाड़ी पर दुर्गा पूजा में शामिल होनें के लिए उतावला है। भक्ति का ऐसा जूनून की शाम को महिलाएं घर के कामकाज निपटाकार तो कुछ घर का काम अधूरा छोडक़र भी मैया की आरती में शामिल होने से नहीं चूकती । शाम की आरती में कस्बे के ही नही बल्कि आस पास के गांवो से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे है। किले में स्थित मैया का दरबार खचाखच भर जाता है। दांतारामगढ़ के दोनों ऊचें स्थान किला व पहाड़ी मैया की भक्ति से सराबोर है। विगत पांच दिनो से कस्बे में भक्ति की बयार बह रही है। दिनभर धार्मिक अनुष्ठानों से मंत्र गुजायंमान रहते है वहीं शाम को मैया की आरती के साथ जयकारे गूंजते है।
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बालीनाथ मंदिर (किला)
दांतारामगढ़ के प्राचीन किले का कायापलट करनें के बाद तेरह साल पहले शारदीय नवरात्र में सार्वजनिक दुर्गा पूजा शुरू की गई थी। छोटे स्तर पर शुरू हुई दुर्गा पूजा में आज दांतारामगढ़ कस्बे के अलावा आस पास के गांवो से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पूजा में शामिल होनें के लिए आते है। मां की शक्ति ऐसी की पहाड़ी की जो बुजुर्ग अपने छत की सिढिय़ा नहीं चढ़ पाते वे किले की ११३ सिढिय़ा चढक़र शाम की आरती में शामिल होती है तो पाण्डाल ही छोटा पड़ जाता है ।
भूरी माता मंदिर (पहाड़ी)
किले की तरह युवाओ ने पहाड़ी पर स्थित भूरी माता मंदिर का जिर्णाेद्धार कर पूरी नक्सा की बदल कर रख दिया। भूरीमाता सेवा समिति के की ओर से विगत पांच सालों से पहाड़ी पर स्थित भूरी माता के यहां सातवां सार्वजनिक दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है ।
मदनसिंह मार्केट दांता
दांतारामगढ़ क्षेत्र में सबसे पहले करीब १९ साल पहले दांता के ठा. मदनसिंह मार्केट में दुर्गा पूजा शुरू की गई । यहां आज भी बंगाली कारीगरों की ओर से दुर्गा की प्रतिमा सजाकर पूजा अर्चना की जाती है। इसके बाद दांता में अन्य दो तीन स्थानों व इसी प्रकार पास के भौंरड़ोकाबास व डसंरोली में भी दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है।