इस्लामपुर। शनिवार रात तमाम मस्जिदों में शबे कद्र मनाई जाएगी। जिसके चलते मस्जिदों को दूल्हन की तरह सजाया गया है। हाफिजे कुरआन आज तरावीह की नमाज में कुरआन पाक को मुकम्मल करेंगे। कुरआन को पूरा करने के बाद लोग हाफिज को नजराना पेश करेंगे और इसके बाद तबर्रूक तकसीम किया जाएगा।
मुस्लिम भाई आज रात को जागकर अल्लाह की बारगाह में इबादत करेंगे व खानगाहे औलिया व कब्रिस्तान में जाकर फातेहा पढ़ेंगे और अपने अहलो-अयाल के लिए दुआएं मगफिरत करेंगे। शबे-कद्र की फजिलत
शबे कद्र की दुआ- अल्लाहुम्मा इन्नका अफूउन तूहिब्बूल अफवा फअफो अन्नी। रमजान की 27वीं रात के बारे में आम तौर पर मशहुर है कि यही रात शबे कद्र की है इसलिए इंसान को रात में जागकर खुदा की बारगाह में रहमत की भीख मांगनी चाहिए और अपने गुनाहों की माफी के लिए रोना व गिड़गिड़ाना चाहिए। अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि रमजान के आखरी असरे की ताक रातों यानि 21, 23, 25, 27 व 29वीं रात में शबे कद्र को तलाश करो। अकसर उलमा ने 27वीं रात को ही शबे कद्र बताया है इसलिए रमजान के मुकद्दस महीने की 27वीं रात को शबे कद्र कहा जाता है हदीसों में इस रात की बड़ी फजिलत बयान की गई है और बताया गया है कि शबे कद्र की रात हजार महीनों से भी अफजल है। आज रात को जितना हो सके जागकर तिलावते जिक्र और रब की इबादत की जाए। खाली जागकर और टाईम पास करने से कोई फैज हासिल होने वाला नहीं। शबे कद्र इन्तिहाई रहमत व बरकत वाली रात है क्योंकि इस रात में सालभर के अहकाम जारी किये जाते हैं और फरिश्ते अगले साल होने वाले मामलात लिखते हैं इसलिए इस रात की रहमतों व बरकतों से फायदा उठाएं और इस रात को फिजूल काम व गफलत में हरगिज न गुजारें।
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