खबर - जीतेन्द्र वर्मा
बूंदी। छोटी काशी के नाम से विख्यात बूंदी जिला सावन मास में वास्तविक काशी में परिवर्तित हो जाता है। सावन के शुरुआत के साथ शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है, बम बम भोले के जयघोष के साथ प्रकृति की गोद में बसे शिवालयों में लोग दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचने लगे हैं। प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र आदि चढ़ाने की परंपरा भी शुरू हो गई है। पुराणों के अनुसार शिवालयों में अभिषेक करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।
वर्षा ऋतु के साथ ही प्रकृति अपने पूर्ण सौंदर्य में आ जाती है और बूंदी जिला अपनी प्राकृतिक छटाओं के लिए मशहूर है। ऐसे में प्रकृति की गोद में बने शिवालयों में लोग दर्शन के साथ साथ पर्यटन का भी लाभ लेते हैं। बूंदी के रामेश्वर महादेव, भीमलत महादेव, दुर्वासा नाथ महादेव, सिंधकेश्वेर महादेव, झर महादेव, कमलेश्वर महादेव जैसे बड़े स्थानों पर प्रकृति की अनुपम छटा होने के कारण वर्षभर दर्शनार्थी आते रहते हैं किंतु सावन मास में तो इन जगहों पर पर्यटन और भोजन का कार्यक्रम प्रतिदिन चलता है।
सावन मास में कच्चे खाने का भी प्रचलन बढ़ जाता है। वर्षा के बीच खाना बनाने और खाने का अलग ही मजा है इसलिये दुर्गम स्थानों पर बने शिवालयों में भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर गोठ पार्टी का आयोजन करते देखे जा सकते हैं। भांग का भी बूंदी में ज्यादा ही प्रचलन है और कच्चे भोजन के साथ तो विशेष रूप से इसे जोड़ा जाता है। भोले के भक्त कठिन रास्तो से होकर अरावली की पहाड़ियों में बने शिवालयों में पहुच ऐसा महसूस करते है जैसा कोई भक्त कैलाश पहुचकर महसूस करता। अपनी श्रद्धा अनुसार पुरे सावन कोई जल अर्पित करता है तो कोई दूध से अभिषेक।
हर सोमवार को मेले का होगा आयोजन
वैसे तो हाडौती में कई मेले आयोजित होते है किंतु सावन में हर सोमवार को मेले का आयोजन अलग अलग शिवालयों में किया जाता है जैसे बालचंद पाडा स्थित अभय नाथ महादेव मंदिर रेत वाली महादेव मंदिर लंका गेट आदि।