गुरुवार, 18 जुलाई 2019

क्या टोटको से लाई जा सकती है बारिश,

तो क्यों पड़ता है सूखा।।
बूंदी। वैसे तो भारत वैज्ञानिक प्रगति में आगे आने के लिये प्रयास रत है। मंगल अभियान, एक साथ कई उपग्रहों की लॉन्चिंग और चाँद पर अपना एयरक्राफ्ट उतारने जैसे कीर्तिमान स्थापित करना उसका उदाहरण है। 21 वीं सदी में जब हर चीज डिजिटल हो रही है लोग आज भी ऐसे काम करते नजर आते है जो विज्ञान के दृष्टिकोण महज एक ढोंग से ज्यादा कुछ नहीं लेकिन आम लोगो का विश्वास आज भी इन टोटको पर बना हुआ है। एक टोटका तो सभी ने किया ही होगा, किसी अच्छे काम के लिए जाने से पहले दही खाना।
                       विश्वास और विज्ञान की लड़ाई बहुत पुरानी है। कभी कभी होने वाला संयोग विश्वास को पुष्ट करके दृढ़ विश्वास में बदल देता है और शुरू हो जाते है टोटके और प्रथाएँ। ऐसे ही एक टोटका जो हर साल गाँवो और कस्बो के के साथ शहरों में भी देखने को मिलता है और वो है वर्षा लाने का टोटका। तरीके देश, काल के कारण अलग अलग हो सकते है लेकिन लोगो का इसपर बहुत विश्वास है। साहित्यकार धर्मवीर भारती का संस्मरण पाठ जो विद्यालयों की पाठ्यपुस्तक में डाला गया है में वे बताते है कि उनके गांव में इंद्र सेना घूमते हुए पानी मांगती थी और लोग उनपर पानी फेखते थे ताकि अच्छी वर्षा हो।
                          क्या आपने चौराहे पर पूजा की हुई मटकी देखी है अगर हाँ तो जानना चाहा की क्यों? यह भी वर्षा लेन का एक तरीका बताया जाता है। खाली मटकी को उल्टा रखना, शिवलिंग को पानी में डुबोना, गोबर से बने मेंढक को गलियों में घूमना आदि वर्षा लाने के टोटके है और क्योकि राजस्थान शुष्क प्रदेश है इसलिए यहाँ ये ज्यादा ही होता है। यदि ऐसा करने से वर्षा आती तो जैसलमेर जैसे जिलो में तो ऐसा करके ही हरियाली  लाई जा सकती थी क्यों करोडो रूपियो की इंदिरा गांधी नहर परियोजना चलाई जाती। केवल वर्षा लेन के ही नहीं रोकने का भी उपाय है वो है शंख बजाना, लोगो का मानना है कि शंख बजाने से वर्षा चली जाती है इसलिये ग्रामीण क्षेत्रो में वर्षा काल में शंख नहीं बजाते।
                     वैसे तो मौसम विभाग का आकलन भी कम ही सही बैठता है, इसलिए आज भी पुराने तोर तरीके अपनाए जाते है। माना जाता है कि टिलहरी (हाडौती में टीठोड़ी) ने समतल जगह अंडे दिए तो कम वर्षा होगी या सूखा रहेगा और यदि ऊँची जगह दिए तो अच्छी वर्षा होगी। कृषि एक जुएँ से कम नहीं जो अधिकांश जगह वर्षा पर ही आश्रित है ऐसे में किसान हर संभव कार्य करने का प्रयास करता है जो उसकी फसल की रक्षा करे। सिंचाई के लिए वर्षा होन आवश्यक है और यदि वर्षा न हुई तो टोटको का खेल शुरू हो जाता है।

जितेन्द्र वर्मा
असिस्टेंट लेक्चरर
बूंदी

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