जिला परिषद की पहली बैठक में प्रधान फोरम की ओर से प्रमुख को दिया गया पौधा
झुंझुनूं-जिला परिषद की पहली बैठक में प्रधान फोरम के अध्यक्ष व नवलगढ़ प्रधान दिनेश सुंडा ने जिला प्रमुख हर्षिनी कुलहरि को चिड़ावा प्रधान इंदिरा डूडी, सिंघाना प्रधान सोनू, बुहाना प्रधान हरिकृष्ण यादव, खेतड़ी प्रधान मनीषा गुर्जर, अलसीसर प्रधान घासीराम पूनियां, मंडावा प्रधान शारदा देवठिया, सूरजगढ़ प्रधान बलवान पूनियां, पिलानी प्रधान बिरमादेवी, उदयपुरवाटी प्रधान माया गुर्जर, झुंझुनूं प्रधान पुष्पा चाहर के साथ बैठक शुरू होने से पहले पौधा देकर स्वागत किया और प्रधान फोरम के सहयोग से चलाए जा रहे पौधारोपण अभियान में सहयोग का निवेदन किया। इस मौके पर सुंडा ने जिला प्रमुख से भी अपील की कि सभी ग्राम पंचायतों में पौधारोपण को लेकर एक विशेष बजट देकर अधिक से अधिक पौधे लगाने में सहयोग करें। इसके बाद सुंडा ने पंचायतों की समस्याओं को बैठक के दौरान रखा। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण था कि नगरपालिका की तर्ज पर पंचायतों को भी जमीन आवंटन तथा 90 ए करने का अधिकार मिलना चाहिए। सुंडा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कॉलोनियां बन रही है। लेकिन पंचायतों को कोई अधिकार ना होने से और ना ही नियम होने से इनका नियमितकरण हो रहा है। जिससे एक तरह से ये कॉलोनियां अवैध बन रही है। भविष्य में ना तो कॉलोनी बनाने वालों, ना कॉलोनी में जमीन खरीदने वालों को परेशानी हो। इसके लिए पंचायतों को 90 ए का अधिकार दिया जाना चाहिए। इस संदर्भ का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाने की अपील सुंडा ने बैठक में की।
जनता जल योजना के कुओं को संभाले पीएचईडी
बैठक में प्रधान दिनेश सुंडा ने कहा कि गांवों में जनता जल योजना के तहत कुएं बने हुए है। जिनका संचालन और रख—रखाव आदि पंचायतों के जिम्मे है। लेकिन कई पंचायतें ऐसी है। जिनके पास इतनी आय नहीं कि वह इन कुओं का रख रखाव कर सके। वहीं पेयजल की आपूर्ति पीएचईडी का काम है। ऐसे में इन कुओं को संचालन पीएचईडी से करवाया जाए। ताकि पंचायतों पर इसका बोझ उतरे और समय—समय किन्हीं कारणों से बंद होने वाले कुएं नियमित चलते रहे।
सांसद से की केंद्र में मुद्दे उठाने की अपील
प्रधान दिनेश सुंडा ने बैठक में सांसद नरेंद्रकुमार से अपील करते हुए जिला परिषद से प्रस्ताव भिजवाने के लिए भी कुछ बिंदु रखे। सुंडा ने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा योजान्तर्गत पौधारोपण कार्य करवाया जा रहा है। लेकिन इनकी सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड आदि के लिए कोई भी नियम कायदे नहीं है। इसलिए ट्री गार्ड लगवाने के कार्य अनुमत श्रेणी में लाए जाए। वहीं चारागाह एवं पंचफल विकास कार्यों पर पौधारोपण के लिए डीच कम बंड अनुमत है। इसके स्थान पर चारागाह व पंचफल के कार्यों पर तार फेसिंग कार्य अनुमत श्रेणी में करें। ताकि पौधों की सुरक्षा की जा सके।
खुद भी मांगी और कहा ये जानकारी करें सार्वजनिक
बैठक में प्रधान दिनेश सुंडा ने काफी जानकारियां खुद भी मांगी और कहा कि ये सभी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। ताकि हर ग्रामीण को इसके बारे में सूचना हो। उन्होंने कहा कि गारंटी पीरियड के ट्यूबवैलों की जानकारी गांव में सार्वजनिक हो। ताकि गारंटी पीरियड के ट्यूबवैलों के खराब होने पर ग्रामीण तुरंत इस बारे में पीएचईडी और ठेकेदार से बात कर सके। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पानी की टंकियों की सफाई कागजों में तो की जाती है। लेकिन असल में इनकी सफाई होती नहीं है। इसलिए इन टंकियों की सफाई ग्रामीणों की मौजूदगी में होनी चाहिए। साथ ही इनकी वीडियोग्राफी कर उसे भी सोशल मीडिया पर डालनी चाहिए। केवल टंकियों पर तारीख बदलने से टंकियों की सफाई नहीं मानी जा सकती। उन्होंने कहा कि स्टोर में पाइपों, केबलों और अन्य सामान भी पीएचईडी में पर्याप्त मौजूद रहे। यह अधिकारी सुनिश्चित करें। क्योंकि जब भी इनके बारे में बातचीत की जाती है। अधिकारी रटा रटाया जवाब देकर अपना पल्ला छाड़ लेते है। उन्होंने जर्जर पाइपलाइनों और बोरवैलों की भी प्राथमिकता से रिपेयरिंग करने की मांग सदन में उठाई।
बीड़ का मामला भी उठाया सुंडा ने
प्रधान दिनेश सुंडा ने बैठक में जिला मुख्यालय के बीड़ में इकट्ठा हो रहे शहर के गंदे पानी की समस्या को भी उठाया। उन्होंने कहा कि एक तरफ झुंझुनूं जिले के लोग पर्यावरण को बचाने के लिए ताबड़तोड़ पौधे लगाकर उनकी सार संभाल का संकल्प ले रहे है। वहीं प्रशासनिक लापरवाही के कारण बीड़ में हजारों पेड़ खत्म हो रहे है। जिसे शायद ही यह झुंझुनूं जिला बर्दाश्त कर पाए। इसलिए इस पानी को तुरंत रोककर उसका ट्रीटमेंट कर उपयोग में ले। वहीं नगर परिषद की ओर से लगाया गया ट्रीटमेंट प्लांट भी शुरू किया जाए। यह प्लांट पूर्व कलेक्टर रवि जैन के समय ही शुरू होने वाला था। लेकिन उनका तबादला होने के बाद यह प्लांट फिर ठंडे बस्ते में चला गया। यदि ट्रीटमेंट प्लांट शुरू हो जाता है तो सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। साथ ही सुंडा ने कहा कि यदि समय रहते प्रशासन कदम नहीं उठाता है तो मजबूरन पौधे लगाने वाले लोग, पहले आंदोलन करेंगे। फिर पौधे लगाएंगे।