नवलगढ़ -कस्बे के भवानी मार्केट स्थित एक इंस्टिट्यूट परिसर में राजस्थानी साहित्य के द्रोणाचार्य जनकवि स्वर्गीय श्री बजरंग लाल जी पारीक की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ दयाशंकर जांगिड़ ने की। मुख्य अतिथि संजय बासोतिया थे। विशिष्ट अतिथि मेजर डीपी शर्मा, हरी प्रसाद पारीक, पवन सोनी थे। अतिथियों ने जनकवि बजरंग लाल पारीक को श्रद्धा सुमन अर्पित कर जनकवि को याद किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सीताराम गुरु जी की सरस्वती वंदना से किया गया। कवि सज्जन जोशी ने जन कवि बजरंग लाल जी पारीक का जीवन परिचय दिया व् उनके कुछ संस्मरण सुनाये ।
ओम प्रकाश सेन ने जनकवि की रचना सारे देशां रों सिरमौर म्हारे कालजिया री कोर मरूधर प्यारो लागे जी सुनाई। कवि रमाकांत सोनी ओढ़कर धानी चुनरिया धरा यू हरसा रही सावन गीत प्रस्तुत किया। कवि श्रीकांत पारीक ने बादल बरसे धरती तरसे पण थारी धंण थां बिन तरसे अब घर बेगा पधारो सा मारवाड़ी गीत प्रस्तुत किया।
कवि हरिप्रसाद पारीक ने मनमोहक मुक्तक प्रस्तुत किए। कवि काशीनाथ मिश्रा, मोहन लाल जांगिड़ जगदीश जांगिड़, सज्जन जोशी, सुरेश जांगिड़ ने भी सरस रचनाएं प्रस्तुत कर सबको मनमोहित कर लिया। शैलेंद्र मिश्रा ने संगीतमय गीत गायन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में रमाकांत पारीक, टीएम त्रिपाठी, पवन सोनी, राजवीर सैनी, अशोक कुमार, सुरेश सोनी, सागरमल वर्मा, रविंद्र पारीक श्रीनिवास चोबदार न्यू पवन फोटो स्टूडियो आदि उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन सुरेश कुमार जांगिड़ ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत के साथ किया गया।