नवलगढ -चमगादड़ छोटे स्तनधारियों जंतु होते है। मनुष्य के लिए अत्यधिक लाभदायक तथा हानिकारक कीटो को अपने भोजन के रूप में खाते हैं। यह रात्रि चर जंतु जो किसान फसल के लिए अत्यधिक ज्यादा उपयोगी हैं। यह जन्तु शीत निष्क्रयता के पश्चात् ग्रीष्म ़ऋतु मंे पुनः सक्रिय हो जाते हैं। चमगादड़ अपने भोजन ग्रहण करने के आधार पर दो प्रमुख समूह में वर्गीकृत होते हंै। फल पत्तियां खाने वाली चमगादड़ फ्रूट बैट तथा कीट- पतंग खाने वाली छोटी माइक्रोकायरोपटेरन कहलाती हंै।
पृथ्वी पर मौजूद सभी स्तनधारियों में चमगादड़ 20 प्रतिषत हैं। ये चमगादड़ ही हैं, जो केले, आम जैसे भोजन पैदा करने वाले पौधों की प्रजातियों में फूलों को सेचित करते हैं। चमगादड़ 500 से अधिक प्रकार के पौधों को फैलाते और उन्हें पुनर्जीवित करते हैं, वे फलों को खाते हैं और अंकुरित होने के लिए जमीन पर बीज फैला देते हैं। वनों की कटाई की वजह से जैव विविधता में भारी कमी आई है। इससे मनुष्यों और ऐसे वन्यजीवों के बीच की दूरी कम हो गई है जो चमगादड़ों में उत्पन्न होने वाले खतरनाक वायरस फैलाते हैं। चमगादड़ प्रति घंटे 1,000 से अधिक कीड़े खाते हैं।
शेखावाटी क्षेत्र पुरानी हवेलीयों व ऐतिहासिक स्थानों के कारण जाना जाता है जहाँ राजस्थान में करीबन 28 प्रकार के चमगादड़ प्रजातियाँ पाई जाती हैं। वहीं नवलगढ़ में चमगादड़ की प्रजातियों को पहचानने के लिए सेठ जी.बी. पोदार कॉलेज के प्राणी शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. दाउलाल बोहरा द्वारा सर्वे करवाया गया। शहर के अन्दरूणी भागों में पोदार गेट, नानसा गेट, गंगा माता मंदिर घेर का मंदिर, चुना चैक पोदार हवेली, बड़ी मस्जिद एवं बावड़ी गेट इत्यादि स्थानों पर राईनोपोमा हार्डविकी, राईनोपोमा माइक्रोफिल्म खुल्ली, पिपिसटाइल्स, स्कोटोफिल्स खुल्ली, स्कोटोफिल्स हाथी ट्रोफोजस, टेरोफस ग्राई गेन्टस, साइनोफटेरन्स सहित 08 प्रकार की प्रजाति पाई गई। जिनकी कुल संख्या 5000 से अधिक पाई गई। यह चमगादड़ सर्वे प्राणी शास्त्र विभाग के छात्र-छात्रा अमित दूत, अंकिता, पूजा, स्वाति, नाजमीन, स्वाति निशा, रितिका, अंकिता यादव, रिया व दीक्षा के द्वारा किया गया। साथ ही विद्यार्थियों द्वारा चमगादड़ में पाई जाने वाली विशेषताओं का प्रायोगिक अन्वेषण किया गया। जिसमें उनकी शारीरिक क्षमता, इकोलोकेशन, प्रजाति पहचान तथा वातावरण में कीट नियन्त्रण की प्रक्रिया का अध्ययन किया।
दी आनन्दीलाल पोदार ट्रस्ट के चेयरमैन श्री राजीव के. पोदार, ट्रस्टी सुश्री वेदिका पोदार, निदेशक श्री एम.डी. शानभाग, सी.ई.ओ. सुबेनॉय तालुकदार व प्राचार्य डाॅ. सत्येन्द्र सिंह ने इस प्रकार के रिसर्च कार्य को उपयोगी व सार्थक बताया।