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राजस्थान में हर साल घट रहा मलेरिया का प्रकोप: डॉ. अरूण कुमार

विश्व मलेरिया दिवस पर कार्यशाला का आयोजन
हनुमानगढ़। इंसानों में मच्छर जनित रोगों में सर्वाधिक फैलने वाला रोग ‘मलेरिया’ ही है। शरीर में कंपकंपी वाली तेज सर्दी के साथ तीव्र बुखार, सिरदर्द जैसे लक्षण मलेरिया के सामान्य लक्षण हैं। विश्वभर में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में लोग इस रोग के कारण मौत का शिकार होते हैं। वहीं प्रदेश में बेहतर प्रबन्धन के कारण मलेरिया के मामलों में पिछले पांच वर्ष में कमी आई है। यह कथन सीएमएचओ डॉ. अरूण कुमार ने आज एएनएम प्रशिक्षण केन्द्र में विश्व मलेरिया दिवस पर आयोजित कार्यशाला में उपस्थित नर्सिंग कर रही छात्राओं से कहे। उनके साथ चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमएस बेनीवाल, नर्सिंग अधीक्षक रणवीर सिहाग आदि उपस्थित थे। 
सीएमएचओ डॉ. अरूण कुमार ने बताया कि सामान्य मलेरिया बुखार जानलेवा नहीं होता है, लेकिन उपचार में देरी या सही उपचार का न मिल पाना मलेरिया से मृत्यु होने का कारण बन जाता है। मलेरिया रोग का कारण एक कोशिकीय परजीवी ‘प्लाजमोडियम’ है जो मादा एनाफिलीज मच्छर को ग्रसित करता है और ऐसे संक्रमित मच्छर के काटने से यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से पहुंच जाता है। प्लाजमोडियम परजीवी के 100 से भी अधिक प्रकार मच्छरों को संक्रमित कर सकते हैं और उनके जरिए इनमें से 5 प्रकार के प्लाजमोडियम परजीवी -फेल्सिफेरम, ओवल, वाइवेक्स, मलेरी, नॉलेसी मानव को संक्रमित करते हैं। इन्हीं के आधार पर मलेरिया के रोग के लक्षणों में भी भिन्नता होती है। उन्होंने बताया कि पानी के स्रोतों की साफ-सफाई तथा स्वच्छता अपनाकर मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करके मलेरिया के फैलाव को रोका जा सकता है। राजस्थान में मलेरिया की रोकथाम के लिए जन सामान्य में व्यापक जागरूकता, मजबूत कार्ययोजना, जांच और उपचार सेवाओं के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप पिछले पांच वर्षों में मलेरिया रोगियों की संख्या में हर वर्ष तेजी से गिरावट आई है। राज्य में जहां वर्ष 2014 में मलेरिया रोग के लगभग 15 हजार मामले सामने आए, वहीं 2018 में इनकी संख्या घटकर लगभग 6 हजार तक सिमट गई। उन्होंने बताया कि प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा मलेरिया उन्मूलन के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार कर विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाती हैं। प्रतिवर्ष माह मई से दिसंबर तक की कार्ययोजना में मच्छर प्रजनन पर नियंत्रण, मच्छर से बचाव व मलेरिया संक्रमण की पहचान, जांच एवं उपचार के कार्य संचालित किये जाते हैं। 
चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमएस बेनीवाल ने छात्राओं से कहा कि मलेरिया रोग में अधिक हानि संक्रमित रोगी के इलाज में देरी होने पर होती है। यह देरी मलेरिया पॉजीटिव व्यक्ति को गंभीर स्थिति में पहुंचा देती है। इसके प्रति जागरूकता बढाने के लिए प्रतिवर्ष 25 अप्रेल को दुनियाभर में ‘विश्व मलेरिया दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर मलेरिया रोग की गंभीर प्रकृति को ध्यान में रखते हुए जनसमुदाय को इसके संक्रमण के कारणों, पहचान, रक्त जांच एवं चिकित्सक की सलाहनुसार पूरा उपचार इत्यादि की जानकारी दी जाती है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 के मलेरिया दिवस की थीम ‘‘जीरो मलेरिया स्टार्ट विद मी‘‘ निर्धारित की गई है। सम्पूर्ण प्रदेश में मलेरिया से संबंधित प्रचार-प्रसार सामग्री का वितरण, सेमिनार व कार्यशालाओं का आयोजन कर जनजागरूकता विकसित की जाती है।