खबर - अरुण मूंड
झुंझुनूं। बुधवार को विश्व नशा मुक्ति दिवस है। जगह-जगह रैलिया निकाली जाएगी, नशा मुक्ति का संदेश दिया जाएगा, नवयुवक पीढ़ी को नशे से दूर रहने का आग्रह किया जाएगा। लेकिन दुसरे दिन से ही वो संदेश और वो बातें अगले साल के लिए सिकुड़कर रह जाती है। धरातल पर भले ही कुछ हो या ना हो इसका किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन इस दिन कार्यक्रमों में जरूर नशे के खिलाफ अपनी वाणी का नशा दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। शराब, बीड़ी, सिगरेट, पान, गुटखा आदि के सेवन से देश में अपनी जिंदगी समाप्त करने वालों का आकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। खासकर युवा वर्ग नशे का आदि बनकर देश का भविष्य गर्त की ओर बढ़ा रहा है। नशा मुक्ति का संदेश व प्रेरणा ना केवल नशा मुक्ति जैसे दिवसों पर दी जाए बल्कि हर एक समारोह में यह संदेश हो इसके लिए एक नवयुवक दिनेश सूंडा निरंतर प्रयास कर रहा है।
युवा सूंडा दूध पिलाकर देता है। नशे से दुर रहने का संदेश
नव वर्ष का स्वागत हो या फिर कोई खेल मैदान जिला परिषद सदस्य दिनेश सूंडा पहुंच जाते हैं बधाई एवं प्रेरणा के साथ एक बड़ा संदेश देने। वो संदेश है नशा मुक्ति का यानि नशे से ना केवल दुरी बनाओं बल्कि दुसरों को भी दूर रखने की कोशिश करें। सूंडा ने नव वर्ष पर लोगों को गर्म दूध पिलाकर स्वागत किया था। इसके साथ ही उन्होनें दारू छोड़ो, दूध पिओ अभियान भी चला रखा है। जिसका खासकर नवयुवक मंडली पर खासा सकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है।
कॉलेज स्तर से शुरू किया अभियान आज जिले में बना हुआ सफल
जिला परिषद सदस्य दिनेश सूंडा ने बताया कि जब सन् 1998-99 में वह लाल बहादूर शास्त्री जयपुर के छात्रसंघ अध्यक्ष बने तब से राजनिति के साथ ऐसे उदाहरण आंखों के सामने देखे जिन्होनें ना केवल सोचने को मजबूर किया बल्कि नशे के खिलाफ लड़ने को खड़ा कर दिया था। कॉलेज में पढ़ने विद्यार्थियों द्वार घरवालों के पैसे पढ़ाई की बजाए गुटखा,सिगरेट में बर्बाद करने जैसी घटनाओं के बाद से निर्णय लिया कि युवाओं को दूध पिलाकर नशे से दूर रहने की प्रेरणा दी जाएगी। कॉलेज स्तर से शुरू किया यह अभियान आज जिले में भी काफी हद तक सफल बना हुआ है। अभियान में युवाओं का भी काफी सहयोग मिल रहा है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए भी बांट रहे हैं पेड़
जिला परिषद सदस्य दिनेश सूंडा ना केवल नशे के खिलाफ अभियान चला रखा हैं। बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी निःशुल्क पेड़ बांट रहे हैं। इसके लिए सूंडा चाहे वो खेल के मैदान में खड़े खिलाड़ी हो या फिर किसी जन्मोत्सव कार्यक्रम में कुंआ पूजन करती महिला सबकों पेड़ बांटकर पर्यावरण संरक्षण का भी बड़ा संदेश रहा है।