नवलगढ़ -दी आनन्दीलाल पोदार ट्रस्ट, नवलगढ द्वारा संचालित सेठ जी. बी. पोदार काॅलेज में आज दिनांक 23.05.2022 को शोाधपत्र लेखन एवं शोध विधितंत्र पर वर्कशॉप का आयोजन हुआ।
वर्कषाॅप में तीसरे दिन प्रथम सत्र में डाॅ. संजय सैनी ने बताया कि शोधपत्र, शोध लेख, शोध ग्रन्थ की पहली सीढी है। शोधपत्र का लेखन हमें सामान्यतः 8-10 चरणों में तथा 10-15 पेज में लिखना होता है।
डाॅ. संजय सैनी ने बताया कि शोधपत्र में लिया जाने वाला विषय सरल व सुस्पष्ट होना चाहिए जिससे पढने वाला आसानी से समझ सके। डाॅ. संजय सैनी ने बताया कि हमें शोधपत्र की गुणवत्ता को बढाने के लिए उसमें सारणी, ग्राफ, रेखाचित्र, मानचित्र का समावेष करना चाहिए।
वर्कषाॅप के द्वितीय चरण में डाॅ. रवीन्द्र गोस्वामी ने रिसर्च मेथोडोलाॅजी पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। डाॅ. गोस्वामी का कहना था कि अपने जीवन को बेहतर तरीके से चलाने के लिए नई-नई खोज ही शोध है। हमारे जीवन में जो भी समस्याएँ आती है उन समस्याओं को हल करना ही शोध है। डाॅ. गोस्वामी ने नवलगढ क्षेत्र की पुरानी हवेलियों को शोध का व्यापक क्षेत्र बताया तथा उन्होने कहा कि लगातार हवेलियों का आवासीय के स्थान पर व्यावसायिक उपयोग बढता जा रहा है जो कि शोध का विषय है। डाॅ. गोस्वामी ने बताया कि पुरानी हवेलियां, कला, विज्ञान, वाणिज्य संकाय के शोधार्थियों के लिए शोध का विस्तृत विषय है।
डाॅ. गोस्वामी ने कहा कि हमें शोध प्रारम्भ करने से पहले क्षेत्र के बारे में बुनियादी जानकारी होनी चाहिए। हमें शोध का विषय चयन करने में सावधानी रखनी चाहिए तथा पूर्व में किए गए शोध से सम्बन्धित विषय के चयन से बचना चाहिए।
वर्कषाॅप में प्राचार्य डाॅ. सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि संकाय सदस्य अपने चारों ओर के वातावरण व समस्याओं से सम्बन्धित शोध को प्राथमिकता देवें। जिससे हमारे ग्रामीण समाज के लोगों को बेहतर जीवन प्राप्त हो सके।
पोदार ट्रस्ट के अधिषाषी निदेषक श्री एम.डी. शानभाग ने प्फ।ब् सेल द्वारा आयोजित वर्कषाॅप को छात्रों व संकाय सदस्यों के लिए उपयोगी बताया तथा कहा कि पोदार काॅलेज में शोध हेतु सभी सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है जिनका अधिक से अधिक लाभ लेना चाहिए।
पोदार ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री राजीव के. पोदार व ट्रस्टी सुश्री वेदिका पोदार ने प्फ।ब् द्वारा आयोजित शोध वर्कषाॅप पर खुषी व्यक्त की तथा छात्रों से नए-नए क्षेत्रों में शोध की अपील की।